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रिटायर्ड फौजी ने बेटे की लाश को 14 दिनों से डीप फ्रीजर में रखा, जानिए वजह

jantaserishta.com
17 Aug 2021 7:53 AM GMT
रिटायर्ड फौजी ने बेटे की लाश को 14 दिनों से डीप फ्रीजर में रखा, जानिए वजह
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अब अदालत की शरण ली है.

उत्तर-प्रदेश के सुल्तानपुर में एक पिता ने अपने बेटे की लाश को 14 दिनों से डीप फ्रीजर में रखा है. उनका कहना है कि बेटे की हत्या की गई. पिता ने इंसाफ के लिए तमाम उच्चाधिकारियों के दरवाज़े खटखटाए, लेकिन न्याय ना मिल पाने की वजह से उसने अपने मृतक बेटे के शव को 14 दिन से डीप फ्रीज़र में रखा और अब अदालत की शरण ली है.

पूरा मामला सुल्तानपुर जिले के कूड़ेभार थाने के सरैया मझौवा गांव का है. शिवप्रसाद पाठक सेना में सूबेदार थे. रिटायर होने के बाद वो गांव आ गए. शिव प्रसाद पाठक के परिवार में पत्नी के साथ ही दो बेटे शिवांक, इशांक और दो बेटियां सुनीता व पूनम है. पिता ने दोनों बेटियों की शादी कर दी है.
बड़ा बेटा शिवांक दिल्ली में वर्ष 2012 में एक कॉल सेंटर में नौकरी करता था. इस बीच शिवांक ने दिल्ली में 24 अप्रैल 2012 को एक व्यक्ति के साथ मिलकर टैक्सीगो नामक कंपनी खोली. कंपनी के पार्टनर ने दिल्ली की ही रहने वाली एक युवती गुरलीन कौर को एचआर के पद पर नियुक्त किया था.
बताया जा रहा है कि शिवांक ने इसी युवती के साथ 2013 में शादी कर ली थी. आरोप है कि शिवांक के नाम काफी संपत्ति थी, जिस पर युवती की नजर थी. इसी बीच 1 अगस्त 2021 को दिल्ली में उसके भाई शिवांक की संदिग्ध हालत में मौत हो गई. शिवांक के पिता इसे हत्या बता रहे हैं.
शिवप्रताप पाठक का कहना है कि बेटे की हत्या किए जाने की तहरीर एसएचओ बेगमपुरा दिल्ली को दी थी, लेकिन पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया और शव को पोस्टमार्टम होने के बाद उन्हें सौंप दिया गया. इसके बाद परिवारजन शिवांक के शव को लेकर 3 अगस्त को गांव आ गए. बेटे की मौत से पर्दा उठाने के लिए पिता ने कूरेभार थाने की पुलिस को सूचना दी.
शिवप्रताप पाठक का आरोप है कि उनकी एक न सुनी गई. इसके बाद पिता खुद ही डीप फ्रीजर खरीद कर घर ले आए और उसमें अपने जिगर के टुकड़े का शव रखकर इंसाफ की लड़ाई शुरू कर दी. 3 अगस्त से लेकर 9 अगस्त तक लगातार रिटायर्ड सूबेदार स्थानीय थाने, एसपी और डीएम तक दोबारा पोस्टमार्टम कराने और केस दर्ज करने की मांग करते रहे.
इस मामले में सुल्तानपुर के पुलिस अधीक्षक विपिन कुमार मिश्रा ने बताया कि कोई घटनाक्रम यहां का नहीं है, चूंकि मामला अदालत में है, लिहाजा मैं इस मामले कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहा हूं, कोई फैसला आएगा तब कार्यवाही करूंगा.
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