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रिटायर्ड मेजर प्रमिला सिंह ने की मिसाल कायम, इस काम के लिए पीएम मोदी ने की सराहना

Deepa Sahu
30 Aug 2021 11:25 AM GMT
रिटायर्ड मेजर प्रमिला सिंह ने की मिसाल कायम, इस काम के लिए पीएम मोदी ने की सराहना
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कोविड महामारी के दौरान राजस्थान की प्रमिला सिंह ने अपनी पहल के साथ समाज में एक मिसाल कायम की है।‌

नई दिल्ली, कोविड महामारी के दौरान राजस्थान की प्रमिला सिंह ने अपनी पहल के साथ समाज में एक मिसाल कायम की है।‌ जिन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर बेसहारा जानवरों की रक्षा की। प्रमिला के इस कार्य को समाज के लिए प्रेरणाजनक बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी सराहना की है। बता दें कि लॉकडाउन के बीच, जब हर कोई अपनी परेशानियों में उलझा हुआ था, उस दौरान मेजर प्रमिला सिंह अपनी बैंक बचत का उपयोग करते हुए बेजुबान जानवरों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था कर रही थीं।

एक समाचार पत्रिका के 'वित्तीय समावेशन के माध्यम से सामाजिक सशक्तिकरण' के मासिक अंश में रिटायर्ड मेजर प्रमिला सिंह और उनके पिता श्यामवीर सिंह का बेजुबान जानवरों के लिए, किए गए प्रयासों को उजागर किया गया है। कोविड महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन में प्रमिला व उनके पिता मुक पशुओं का सहारा बने। कोटा के श्रीनाथुपरम निवासी पिता और पुत्री सड़कों पर घूम रहे बेसहारा जानवरों के लिए भोजन और उपचार प्रदान करते थे। आपको बता दें भारतीय सेना से बतौर मेजर सेवानिवृत्त हुईं प्रमिला सिंह ने जानवरों के देखभाल और रक्षा के इस नेक उद्देश के लिए अपनी बचत की कमाई का उपयोग किया।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी निस्वार्थ सेवा के लिए प्रमिला सिंह की प्रशंसा करते हुए उन्हें पत्र लिखकर उनके प्रयासों को समाज के लिए प्रेरणा बताया। अपने पत्र में प्रधानमंत्री ने लिखा है कि पिछले लगभग डेढ़ साल में हमने अभूतपूर्व परिस्थितियों का मजबूती से सामना किया है। इतिहास में यह एक ऐसा समय है जिसे लोग कभी नहीं भूल पाएंगे। ऐसे में आपके लिए यह काबिले तारीफ है कि आप बेसहारा जानवरों की पीड़ा और जरूरतों के प्रति संवेदनशील रहें और उनके कल्याण के लिए व्यक्तिगत स्तर पर पूरी क्षमता से काम करें। प्रधानमंत्री ने पत्र में प्रमिला के पिता द्वारा दिए गए संस्कारों की भी सराहना की। बता दें कि इससे पहले मेजर प्रमिला सिंह ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जानकारी दी थी कि लाॅकडाउन के समय पशुओं की देखभाल का जो काम उन्होंने शुरू किया था वह आज भी जारी है ।
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