पौंग के 58 गांवों पर फिर बंदिश, ट्रैक्टर नहीं चला सकेंगे, डरे हजारों लोग
नगरोटा सूरियां। पौंग झील के लिए कभी 16 हजार 800 परिवार विस्थापित हुए थे। उनमें से आज दिन तक 7800 परिवार अपने हक के लिए तरस रहे हैं। पौंग झील में अब पक्षियों की सुरक्षा के लिए ईको सेंसेटिव जोन बनाया जा रहा है। इसके दायरे में 58 गांव आए हैं। इन गांवों के हजारों लोगों …
नगरोटा सूरियां। पौंग झील के लिए कभी 16 हजार 800 परिवार विस्थापित हुए थे। उनमें से आज दिन तक 7800 परिवार अपने हक के लिए तरस रहे हैं। पौंग झील में अब पक्षियों की सुरक्षा के लिए ईको सेंसेटिव जोन बनाया जा रहा है। इसके दायरे में 58 गांव आए हैं। इन गांवों के हजारों लोगों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है। चिंता भी वाजिब है। बंदिशें ऐसी हैं कि हर वर्ग पर इसका असर होगा। मसलन नए भवन और रोड इजाजत पर ही बनेंगे। किसी ने मकान बनाने के लिए परमिशन ले भी ली, तो वहां ट्रैक्टर की मनाही होगी, तो फिर ईंट पहुंचेगी कैसे। इस इलाके में नया र्इंट भ_ा या क्रशर नहीं लग सकेगा।
पेड़ कटान बिना इजाजत नही होगा। आरा मशीन तक नहीं लग पाएगी। छोटे काम धंधे ठप हो जाएंगे। ये तमाम आशंकाएं इस इलाके के लोगों में हैं। लोग चाहते हैं कि उनकी शंकाओं का समाधान प्रदेश और केंद्र सरकार करे। इस बारे में एजुकेशन एक्सपर्ट एवं नवभारत एकता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीसी विश्वकर्मा कहते हैं कि हर प्रभावित परिवार को मासिक कम से कम पांच हजार रुपए मिलना चाहिए। साथ ही बंदिशों को लचीला करना चाहिए। यह इलाका पौंग झील के लिए पहले ही बहुत कुछ झेल चुका है। अब हजारों लोगों को फिर से दिक्कत न हो, इसका समाधान हमारे सियासतदानों को करना चाहिए। दूसरी ओर सरकारों की तरफ से कोई बड़ा आश्वासन न मिलने से क्षेत्र के लोग बहुत परेशान हैं और लोगों में भारी रोष देखा जा सकता है।