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महिला न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला का इस्तीफा, स्किन टू स्किन टच मामले में फैसला देकर चर्चा में आईं

jantaserishta.com
11 Feb 2022 3:27 AM GMT
महिला न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला का इस्तीफा, स्किन टू स्किन टच मामले में फैसला देकर चर्चा में आईं
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नई दिल्ली: सुबह कि एक बड़ी खबर के अनुसार स्किन टू स्किन टच मामले में फैसला देकर चर्चा में आईं न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला (Justice Pushpa V Ganediwala) ने अपना इस्तीफा (Resignation) दे दिया है। जी हाँ मिली ख़बरों के अनुसार आज यानी 11 फरवरी को उनका आखिरी कार्यकाल दिन होगा। वैसे भी आगामी 12 फरवरी को वे रिटायर होने वाली थीं। बताया जा रहा है कि इस्तीफे के बाद वे हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपनी प्रैक्टिस करेंगी।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की महिला अतिरिक्त जज जस्टिस पुष्पा वी गनेडीवाला (Justice Pushpa V Ganediwala) ने नाम की स्थायी जज के रूप में सिफारिश नहीं करने का फैसला किया था।
पता हो कि गनेडीवाला ने पॉक्सो (POCSO) मामले पर फैसला सुनाते हुए 'स्किन टू स्किन' टच (Skin-to-Skin Contact) सहित कुछ विवादास्पद निर्णय दिए थे। उनके फैसले के मुताबिक, अगर आरोपी और पीड़ित के बीच 'स्किन-टू-स्किन'यानी त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं हुआ है तो पॉस्को कानून के तहत यौन उत्पीड़न का कोई अपराध नहीं बनता है।
हालाँकि इसके पहले भी, केंद्र सरकार ने अतिरिक्त जज के रूप में उन्हें दो साल का विस्तार देने के कॉलेजियम के फैसले को लेकरअसहमति जताई थी। इसने यौन शोषण का सामना करने वाले बच्चों के प्रति उनकी असंवेदनशीलता के आधार पर केवल एक साल का विस्तार दिया था।
जस्टिस पुष्पा वी गनेडीवाला के फैसले
बीते 18 नवंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न प्रावधानों की जानकारी देते हुए जनवरी 2020 में पारित जस्टिस गनेडीवाला के दो फैसलों को रद्द कर दिया था। दरअसल, जस्टिस की एक फैसले को लेकर जमकर आलोचना का सामना करना पड़ा था। अपने इस फैसले में उन्होंने एक नाबालिग को गलत तरीके से छूने के आरोपी को बरी कर दिया था। उन्होंने अपने फैसले को इस आधार पर सुनाया था कि नाबालिग लड़की को बिना कपड़ा हटाए छूना POCSO अधिनियम के तहत अपराध नहीं है, क्योंकि स्किन टू स्किन संपर्क नहीं हुआ। ये फैसला 19 जनवरी 2020 को पारित किया गया था।
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