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महिला आरक्षण के भीतर 'आरक्षण', जातीय गणना को धार देने में जुटा 'इंडिया'

Nilmani Pal
24 Sep 2023 7:51 AM GMT
महिला आरक्षण के भीतर आरक्षण, जातीय गणना को धार देने में जुटा इंडिया
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पटना। नए संसद भवन में विशेष सत्र में पहले विधेयक के तौर पर नारी शक्ति वंदन विधेयक पास हो गया। इस विधेयक के जरिए भाजपा जहां महिला मतदाताओं को साधने में जुटी है, वहीं भाजपा और एनडीए की इन तमाम कोशिशों के बीच विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' ने महिला आरक्षण विधेयक में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा उठाकर सामाजिक न्याय के अपने एजेंडे को आगे बढाकर इस मुद्दे को धार देने में जुटा है।

इसमें कोई शक नहीं कि एनडीए अगले साल होने वाले चुनाव में महिला आरक्षण विधेयक को पास कराकर इतिहास रचने के श्रेय के दावे के साथ चुनाव में उतरेगा। इससे अलग 'इंडिया' में शामिल राजद और जदयू के नेता जिस तरह से महिला आरक्षण में ओबीसी आरक्षण और जाति जनगणना का मुद्दा उठाकर अपनी राजनीति मजबूत करने का प्रयास कर रही है, उससे भाजपा पेशोपेश में जरूर है। अब तक राजद महिला आरक्षण का विरोध करता रहा था। लेकिन उसके नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि 33 प्रतिशत नहीं आप 50 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण दे दीजिए। उन्होंने साफ कहा कि ओबीसी लड़ाका वर्ग है। मोदी सरकार अच्छे से जान लें अगर भाजपा ने देश की 60 फ़ीसदी ओबीसी का हक़ छीनने का दुस्‍साहस किया तो ओबीसी इनकी ईंट से ईंट बजा देगा।

उन्‍होंने कहा कि पार्टी दशकों से महिला आरक्षण 33 प्रतिशत नहीं बल्कि 50 प्रतिशत करनी की मांग करती रही है और इसे तुरंत लागू किया जाए। लेकिन साथ ही इसमें एससी, एसटी, ओबीसी तथा अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं के लिए भी आरक्षण रहे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने भी जातीय गणना और महिला आरक्षण के भीतर आरक्षण की बात की है। इसे एनडीए की महिला आरक्षण की काट के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि विपक्ष इसके जरिए कई निशाने साधने की कोशिश कर रहा है। एक ओर जहां 'इंडिया' ने महिला आरक्षण का समर्थन कर महिलाओं का शुभचिंतक बनने की प्रयास किया है, वहीं भाजपा की मजबूत पकड़ वाले ओबीसी और पिछड़ा वर्ग में सेंध लगाने की भी कोशिश की है।

भाजपा के प्रवक्ता राकेश कुमार सिंह कहते हैं कि महिला आरक्षण को लेकर अब तक विपक्ष की न नीति साफ रही है, न ही नीयत। आज भी वह इस विधेयक को फिर से लटकाने के ही फिराक में है। उन्होंने कहा कि जदयू और राजद ओबीसी की इतनी ही हितकारक है तो अब तक पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की गई। उन्होंने कहा पंचायच चुनाव हुए भी काफी दिन गुजर गए। इधर, कांग्रेस के प्रवक्ता असित नाथ तिवारी कहते हैं कि विधेयक में दो कमियां हैं। पहली कि इसमें समय सीमा नहीं है। दूसरी यह कि ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं है। ऐसे में पार्टी ने इन मुद्दों को उठाकर ओबीसी को यह संदेश देने की कोशिश की है कि भाजपा उनकी भलाई नहीं चाहती। राजनीति के जानकार अजय कुमार कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं कि 27 वर्षों से लटके महिला आरक्षण विधेयक को भाजपा की सरकार ने दोनों सदनों में पारित करवा लिया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को चुनाव में भाजपा जरूर भुनाएगी। ऐसे में 'इंडिया' भी आरक्षण का कार्ड खेल जातीय समीकरण साधने की तैयारी में है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अभी इस विधेयक के सरजमीं पर उतरने में देरी है। ऐसे में इसे लेकर बिहार में राजनीति खूब होगी।

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