भारत

चंद्रयान-2 ऑरबिटर के डेटा का रिसर्चर्स कर सकेंगे इस्तेमाल, ISRO ने मांगा इसका प्रस्ताव

Deepa Sahu
24 Aug 2021 10:54 AM GMT
चंद्रयान-2 ऑरबिटर के डेटा का रिसर्चर्स कर सकेंगे इस्तेमाल, ISRO ने मांगा इसका प्रस्ताव
x
ISRO

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने चंद्रयान-2 ऑरबिटर के सभी प्रयोगों से डेटा के वैज्ञानिक विश्लेषण और इस्तेमाल के लिए 'अनाउंसमेंट ऑफ अपॉरचुनिटी' (AO) लेकर आया है, जिसके तहत प्रस्ताव मांगे गए हैं. ISRO के मुताबिक, भारतीय रिसर्चर्स ने चंद्रयान-1 से डेटा का काफी इस्तेमाल किया था, जिससे चांद की आकृति विज्ञान, चांद की सतह का उम्र निर्धारण और उसकी संरचना को समझने के साथ वहां पानी की मौजूदगी के अध्ययन में काफी मदद मिली थी.

अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, "इन स्टडीज ने चंद्रमा की विकास प्रक्रिया को समझने में काफी मदद की है. चंद्रयान-1 के डेटा की स्टडी से भारत में चांद पर रिसर्च करने वाले विज्ञान समुदाय का काफी विस्तार किया है." इसरो ने कहा कि भारतीय रिसर्च कम्युनिटी के चंद्रमा पर अध्ययन को और अधिक बढ़ाने के लिए चंद्रयान-2 ऑरबिटर पेलोड का डेटा सार्वजनिक किया जा रहा है और इसके वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए प्रस्तावों की मांग की जा रही है.
चंद्रयान-2 ऑरबिटर फिलहाल चांद के चारों ओर 100 किमीx100 किमी सर्कुलर पोलर ऑर्बिट में है और यह सतह के भूविज्ञान और संरचना सहित 8 तरह का प्रयोग कर रहा है. जो पिछले चंद्रयान मिशन से आगे की समझ को बढ़ाएगा. 24 दिसंबर 2020 को, चंद्रयान-2 ऑरबिटर पेलोड डेटा को वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए सार्वजनिक किया गया था.
इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं नतीजे
इसी तरह जुलाई 2021 में पेलोड से अगले डेटा सेट को जारी किया गया था. पेलोड साइंस टीम द्वारा कुछ वैज्ञानिक नतीजे पहले ही इंटरनेशनल पीयर रिव्यूड जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं. इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-2 ऑरबिटर पेलोड्स हाई क्वालिटी डेटा भेजते हैं, जो वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए (https://pradan.issdc.gov.in) पर पब्लिक डोमेन में उपलब्ध हैं. एजेंसी ने कहा कि इसमें आगे और भी डेटा सेट जोड़े जाएंगे.
इसरो ने कहा कि अनाउंसमेंट ऑफ अपॉरचुनिटी भारत के सभी मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, तारामंडल और सरकारी संगठनों के रिसर्चर्स के लिए खुला है. चंद्रयान-2 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) से 22 जुलाई 2019 को प्रक्षेपित किया गया था. चंद्रमा के अनछुए पहलुओं का पता लगाने के लिए इसे 'बाहुबली' नाम के सबसे ताकतवर और विशाल रॉकेट जीएसएलवी-मार्क के जरिए प्रक्षेपित किया गया था.
Next Story