दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ यानी डूटा का कहना है कि इन कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों को कई महीनों के विलंब से वेतन मिलता है। शिक्षा मंत्री ने डूटा अध्यक्ष व प्रतिनिधिमंडल को गौर से सुना और तुरंत वेतन और अन्य एरियर्स राशि जारी करने का आदेश दिया है। इसलिए दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित इन सभी 12 कॉलेजों के अधिग्रहण सहित शिक्षकों से जुड़े अनेक मुद्दे और मांग शिक्षा मंत्री के समक्ष रखी गई। इस सिलसिले में दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार भागी समेत कई शिक्षकों ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की।
प्रो. भागी ने बताया कि उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री के समक्ष कई कॉलेजों में समय पर वेतन और एरियर्स राशि जारी करने, ईडब्ल्यूएस के बदले अतिरिक्त शैक्षणिक पदों की संस्तुति, खाली पदों पर विस्थापित शिक्षकों की नियुक्ति, शिक्षकों के कुल सेवाकाल को मान्यता का विषय रखा।1991 से पूर्व नियुक्त सभी शारीरिक शिक्षा विभाग और पुस्तकालय अध्यक्ष की सेवानिवृत्ति आयु शिक्षकों के समकक्ष, ओएमएसपी प्रमोशन स्कीम जैसे विषय भी शिक्षा मंत्री के समक्ष रखे गए।
शिक्षा मंत्री ने आश्वस्त किया कि जैसे ही दिल्ली विश्वविद्यालय पहले से स्वीकृत 75 प्रतिशत पदों को स्थाई रूप से नियुक्ति करेगा, वैसे ही मंत्रालय ईडब्ल्यूएस श्रेणी के पदों की स्वीकृति प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रो. भागी का कहना है कि दिल्ली सरकार ने इन कॉलेजों को 100 करोड़ रुपये की ग्रांट जारी की है लेकिन कॉलेजों तक यह ग्रांट अभी तक नहीं पहुंची है। इन कॉलेजों में पढ़ाने वाले सर्वाधिक एडहॉक शिक्षक व कंट्रक्चुयल कर्मचारी हैं। वेतन न मिलने के कारण शिक्षक आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। शिक्षकों को समय पर वेतन न मिलने को लेकर दिल्ली सरकार के प्रति शिक्षकों में काफी रोष व्याप्त है।
प्रो. भागी ने बताया है कि दिल्ली सरकार से वित्त पोषित 12 कॉलेजों के शिक्षक व कर्मचारी पिछले कई महीने से वेतन न मिलने से आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। कुछ कॉलेजों के प्राचार्य ने उन्हें बताया है कि शिक्षकों को दूसरे मदों से वेतन दिया गया है लेकिन उन्हें दो महीने से तो कहीं तीन महीने से वेतन नहीं मिला है।