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भारत (India) पिछले पांच वर्षों में जलवायु प्रौद्योगिकी निवेश के मामले में शीर्ष 10 देशों की सूची में नौवें स्थान पर है
भारत (India) पिछले पांच वर्षों में जलवायु प्रौद्योगिकी निवेश के मामले में शीर्ष 10 देशों की सूची में नौवें स्थान पर है. भारतीय जलवायु प्रौद्योगिकी कंपनियों ने 2016 से 2021 तक उद्यम पूंजी (वीसी) निवेश के रूप में एक अरब डॉलर प्राप्त किए हैं. मंगलवार को लंदन में जारी एक नयी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई.
''लंदन एंड पार्टनर्स और डीलरूम.सीओ'' द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट 'पांच साल पेरिस समझौते के बाद से वैश्विक जलवायु प्रौद्योगिकी निवेश के रुझान', में पेरिस में पिछले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी) के बाद और अगले हफ्ते ग्लासगो में आयोजित होने वाले सीओपी26 शिखर सम्मेलन से पहले इस क्षेत्र के रुझानों का विश्लेषण किया गया है.
जलवायु प्रौद्योगिकी कंपनियों में उद्यम पूंजी निवेश पेरिस समझौते के बाद से काफी बढ़ा
विश्लेषण में यह पाया गया कि वैश्विक स्तर पर जलवायु प्रौद्योगिकी कंपनियों में उद्यम पूंजी निवेश पेरिस समझौते के बाद से काफी बढ़ा है, जिसमें अमेरिका और चीन 2016 और 2021 के बीच क्रमशः 48 अरब डॉलर और 18.6 अरब डॉलर के निवेश के साथ शीर्ष 10 देशों में सबसे आगे हैं. स्वीडन 5.8 अरब डॉलर के साथ तीसरे स्थान पर जबकि 4.3 अरब डॉलर के साथ ब्रिटेन चौथे नंबर पर है.
लंदन की व्यापार वृद्धि एजेंसी – लंदन एंड पार्टनर्स के भारत के निदेशक हेमिन भरुचा ने कहा, ''दुनिया भर के देशों को एक साथ काम करने की जरूरत है ताकि हम सामूहिक रूप से व्यावसायिक प्रथाओं को बदल सकें और शून्य कार्बन उत्सर्जन के लिए प्रतिबद्ध हो सकें.''
इससे पहले केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा था कि भारत पेरिस समझौते (Paris Agreement) के तापमान लक्ष्य के भीतर रहने के लिए मजबूत जलवायु कार्रवाई की जरूरत को समझता है. भूपेंद्र यादव 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी 26) से पहले मिलान में 30 सितंबर से दो अक्टूबर तक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इटली की तरफ से आयोजित 'प्री-सीओपी 26' की मंत्रिस्तरीय पूर्ण बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. उन्होंने कहा, विकासशील देश अपने लक्ष्यों को पूरा करें इस लिहाज से उनका जलवायु वित्तपोषण जरूरी है.

Rani Sahu
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