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UAPA आरोपी को अदालत से राहत, हाईकोर्ट ने कहा- किसी हिन्दू धार्मिक नेता की लक्षित हत्या…जानें मामला

jantaserishta.com
14 Dec 2023 4:16 AM GMT
UAPA आरोपी को अदालत से राहत, हाईकोर्ट ने कहा- किसी हिन्दू धार्मिक नेता की लक्षित हत्या…जानें मामला
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नई दिल्ली: मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में UAPA के तहत गिरफ्तार एक शख्स को जमानत देते हुए उसके कृत्य को आतंकवादी हरकत मानने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने जमानत मंजूर करते हुए अधिकारियों से ही पूछा है कि क्या किसी हिन्दू धार्मिक नेता की लक्षित हत्या और उसकी साजिश को आतंकवादी कृत्य माना जा सकता है। इस मामले में तमिलनाडु पुलिस ने पिछले साल आरोपी के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) लगाया था और उसकी गिरफ्तारी की थी। हालांकि,सबूतों से पता चलता है कि साजिश कुछ धार्मिक नेताओं पर हमला करने की थी।

जस्टिस एसएस सुंदर और जस्टिस सुंदर मोहन की खंडपीठ ने बुधवार को कहा, “अधिकारियों ने यह नहीं बताया है कि इसे आतंकवादी कृत्य कैसे माना जाएगा, जैसा कि यूएपीए की धारा 15 के तहत परिभाषित किया गया है।”

हाई कोर्ट ने कहा, “यूएपीए की धारा 15 के तहत किसी कृत्य को तभी लाया जा सकता है, जब कोई आपराधिक कार्य भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा या संप्रभुता को खतरे में डालने या खतरे में पड़ने की संभावना के इरादे से किया गया हो, या आतंक फैलाने के इरादे से या भारत में या किसी विदेशी धरती पर लोगों या लोगों के किसी भी वर्ग पर हमला करने की संभावना के इरादे से किया गया हो।”

मामले में अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि आरोपी आसिफ मुस्तहीन ने कुछ हिंदू धार्मिक नेताओं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्यों की हत्या की साजिश रची थी, इसलिए यूएपीए की धारा 18 और 38 (2) के तहत परिभाषित आतंकवादी गतिविधि की धाराएं उस पर लगाई गई थीं। बाद में आसिफ को पिछले साल 26 जुलाई 2022 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने यूएपीए के तहत गिरफ्तार कर लिया था।

हाई कोर्ट ने माना कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री अदालत के लिए किसी आतंकवादी गतिविधि या ऐसी साजिश के अस्तित्व का निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने आरोपी आसिफ को जमानत दे दी। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या किसी हिंदू धार्मिक नेता की हत्या की साजिश को अपने आप में आतंकवादी कृत्य कहा जा सकता है?

आरोपी द्वारा पहले दायर की गई जमानत याचिकाओं को ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। वह पिछले 17 महीने से जेल में बंद था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी आतंकी संगठन ISIS का सदस्य बनना चाहता था और उसने दूसरे आरोपी के साथ निकटता हासिल की थी, जो वैश्विक आतंकवादी संगठन का सदस्य था। आगे यह भी आरोप लगाया गया कि दोनों ने भाजपा और आरएसएस से जुड़े कई हिंदू धार्मिक नेताओं को मारने की योजना बनाई थी।

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