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BIG BREAKING: सुप्रीम कोर्ट से राहत, सद्गुरु के फाउंडेशन के खिलाफ हाई कोर्ट द्वारा दिए गए जांच के आदेश पर रोक

jantaserishta.com
3 Oct 2024 6:36 AM GMT
BIG BREAKING: सुप्रीम कोर्ट से राहत, सद्गुरु के फाउंडेशन के खिलाफ हाई कोर्ट द्वारा दिए गए जांच के आदेश पर रोक
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव (सद्गुरु) के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट द्वारा दिए गए जांच के आदेश पर रोक लगा दी। यह रोक उस समय आई जब फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी। मद्रास हाईकोर्ट ने अपने आदेश में तमिलनाडु सरकार को फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों का विवरण देने का निर्देश दिया गया था।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हम हाईकोर्ट द्वारा पुलिस को दिए गए निर्देशों पर रोक लगाते हैं।" शीर्ष अदालत का यह आदेश उस समय आया जब वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने इस मामले का उल्लेख किया। रोहतगी ने कहा, "यह धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ा मामला है। यह बहुत ही गंभीर और तात्कालिक मामला है। यह ईशा फाउंडेशन से जुड़ा है, जहां सद्गुरु हैं, जिनके लाखों अनुयायी हैं। हाईकोर्ट मौखिक आरोपों के आधार पर ऐसी जांच शुरू नहीं कर सकता।"
यह मामला एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर एस. कमराज द्वारा दायर की गई एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर आधारित था। कमराज ने आरोप लगाया कि उनकी दो "शिक्षित बेटियां" जो 42 और 39 वर्ष की हैं, उन्हें कोयंबटूर के ईशा योग केंद्र में रहने के लिए "ब्रेनवॉश" किया गया है। कमराज ने कोर्ट को बताया कि फाउंडेशन के अधिकारियों ने उनकी बेटियों को उनके परिवार से किसी भी प्रकार का संपर्क बनाए रखने की अनुमति नहीं दी। उन्होंने यह भी बताया कि फाउंडेशन के खिलाफ कई आपराधिक मामले और यौन उत्पीड़न तथा दुर्व्यवहार के आरोप लंबित हैं।
मद्रास हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि फाउंडेशन के खिलाफ कई आपराधिक शिकायतें हैं, मामले को आगे की चर्चा के योग्य बताया। कोर्ट ने इस बात पर भी गंभीर संदेह व्यक्त किया कि वासुदेव ने अपनी बेटी का विवाह कर उसे एक समृद्ध जीवन दिया है, लेकिन वे अन्य महिलाओं को सांसारिक जीवन छोड़ने और संन्यास लेने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस संदेह के आधार पर हाई कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ निर्देश जारी किए थे, जिसके बाद फाउंडेशन ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।
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