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चीतों को लेने से किया मना, भारत का आया ये बयान

jantaserishta.com
19 Aug 2022 7:09 AM GMT
चीतों को लेने से किया मना, भारत का आया ये बयान
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक | DEMO PIC 

भोपाल: नामीबिया से आठ चीते भारत लाए जाने हैं, जिन्हें मध्यप्रदेश के श्योपुर के कूनो-पालपुर नेशनल पार्क में रखा जाएगा. हालांकि भारत ने कुछ चीतों को लेने से मना कर दिया है. जानकारी के मुताबिक उन्हें भारत में लाने के लिए नामीबिया में पकड़ लिया गया था लेकिन बाद में उन्हें इसलिए छोड़ दिया गया क्योंकि वे अब शिकार करने लायक नहीं रह गए थे. उन्हें सिर्फ कैद करके ही रखा जा सकता है. तेंदुओं से भरे जंगल में इस तरह के चीतों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. यानी चीतों के भारत में पहुंचने में अभी और वक्त लगेगा.

भारतीय वन्यजीव संस्थान के डीन डॉ. यादवेंद्रदेव विक्रमसिंह झाला और एक विशेषज्ञ ने नामीबिया की अपनी हालिया यात्रा के दौरान पाया कि आठ में से तीन चीते जंगली जानवरों को शिकार करने में सक्षम नहीं हैं. अब उनकी जगह दूसरे चीतों को लाया जाएगा.
अभ्यारण के एक अधिकारी ने बताया कि अब दूसरे चीतों को नामीबिया में एक महीने तक क्वारंटीन किया जाएगा. इसके बाद कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एंडेंजर्ड स्पीशीज ऑफ वाइल्ड फौना एंड फ्लोरा (CITES) की अनुमति मिलने के बाद उन्हें भारत लाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि इन चीतों को लाने के लिए बहुत की सावधानी बरती जा रही है. वहीं उन्होंने स्पष्ट किया कि चीतों को लाने की प्रक्रिया में कहीं कोई रुकावट नहीं है. CITES संकटग्रस्त प्रजातियों की तस्करी को रोकता है.
एमपी के वन मंत्री विजय शाह ने TOI को बताया कि सरकार किसी भी तरह नवंबर के पहले सप्ताह तक चीतों को कूनो-पालपुर नेशनल पार्क लाने की कोशिश कर रही है. हालांकि दक्षिण अफ्रीका के साथ समझौता अभी लंबित है.
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक चीतों के लिए बनाए गए विशेष बाड़े में तेंदुए अभी भी हैं. उन्हें वहां से निकालने के लिए कई तरह से कोशिश की गई है लेकिन हर कोशिश नाकाम रही. अब उन्हें बाहर निकालने के लिए हाथियों का सहारा लिया जा रहा है.
कूनो डीएफओ पीके वर्मा के नेतृत्व में डब्ल्यूआईआई की टीम चीते के बाड़े को तेंदुओं से मुक्त कराने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. एनटीसीए के आईजी डॉ अमित मल्लिक ने गुरुवार को अभयारण्य का दौरा कर उन्हें पकड़ने के लिए चलाए जा रहे ऑपरेशन को देखा.
CITES ने विलुप्त होने वाली प्रजातियों में चीते को सूची में सबसे ऊपर रखा है, इसलिए बहुत ही असाधारण परिस्थिति में ही चीते के आयात-निर्यात की अनुमति दी जाती है. चीते के निर्यात की इजाजत तभी दी जाती है जब कोई वैज्ञानिक प्राधिकरण यह प्रमाणित करे कि निर्यात के बाद प्रजाति के अस्तित्व के लिए हानिकारक नहीं होगा और उसका व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा. इसके बिना निर्यात परमिट जारी नहीं किया जा सकता है, इसलिए भारत इसकी मंजूरी के बिना चीतों को नहीं ला सकता है.
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने चीतों को फिर से बसाए जाने की योजना पर रोक लगा दी थी हालांकि बाद में जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ अफ्रीका से चीता लाने को हरी झंडी दिखा दी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामले को देखने के लिए एक कमिटी भी बनाई गई है. इस प्रोजेक्ट में नामीबिया के चीता कंजर्वेशन फंड ने मदद की पेशकश की गई.


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