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रेफर किए गए नवजात की मौत, तीन बच्चों को सैफई भेजा
बरेली : बरेली के महिला जिला अस्पताल की एसएनसीयू में मंगलवार को आग की घटना के बाद रेफर किए गए पांचों नवजात में से एक ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। राजकीय मेडिकल कॉलेज बदायूं पहुंचते-पहुंचते बाकी चार में से तीन की हालत बिगड़ गई। उनको भी हायर सेंटर रेफर करना पड़ा है। एक नवजात का बदायूं में इलाज चल रहा है।
एमसीएच (मैटरनल एंड चाइल्ड हेल्थ) विंग के प्रथम तल पर स्थित एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट) में मंगलवार सुबह शॉर्ट सर्किट से आग लग गई थी। तेज धमाकों के बीच वार्ड में धुआं भर गया, जिससे भगदड़ मच गई। वार्ड में भर्ती 11 में से पांच नवजातों को एंबुलेंस से बदायूं मेडिकल कॉलेज भेजा गया था।
राजकीय मेडिकल कॉलेज बदायूं के सीएमएस डॉ. सीपी सिंह के मुताबिक बरेली से पांच नवजात रेफर किए गए थे। इनमें से शबाना के बच्चे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। उसकी जुड़वा बहन नजरीन, अहिल व त्रिवेणी को मेडिकल कॉलेज सैफई रेफर किया गया। राधा का उपचार चल रहा है। वहीं, सैफई जाने के बजाय परिजन नजरीन को वापस बरेली ले आए। उसको वहां निजी अस्पताल के एसएनसीयू में रखा गया है।
दी सफाई : जन्म के दौरान ही नाजुक थी हालत
जिला महिला अस्पताल बरेली के सीएमएस डॉ. त्रिभुवन प्रसाद ने बताया कि दो जुड़वां बच्चे निजी अस्पताल से रेफर होकर आए थे। नजरीन का वजन करीब दो किलो और दूसरे का सिर्फ 800 ग्राम था। जब वे आए थे, तभी कहा गया था कि इन्हें वेंटीलेटर की जरूरत है, लेकिन परिजन नहीं माने।
यहां उनको एसएनसीयू में रखा गया था। बच्चे की हालत बेहद नाजुक थी। शॉर्ट सर्किट के बाद बच्चों को रेफर करते समय परिजनों को उसे पास के निजी अस्पताल में भर्ती कराने का सुझाव दिया था लेकिन वे उसे बदायूं मेडिकल कॉलेज ले जाना चाहते थे। रास्ते में उसकी मौत हो गई।
रेफर होकर पहुंचे, फिर रेफर कर दिया
अलीगंज के कुंवरपुर निवासी प्रमोद कुमार के मुताबिक वह मौके पर नहीं थे। अस्पताल के स्टाफ ने घटना की जानकारी दी। बच्ची त्रिवेणी को बदायूं मेडिकल कॉलेज लेकर आए। यहां इलाज के बाद उसे सैफई रेफर कर दिया गया। बरेली में क्या हुआ, कुछ पता नहीं चल सका।
व्यवस्था पर उठे सवाल
लापरवाही कहें या कमीशनखोरी का खेल, वजह जो भी हो पर नवजात की मौत सौ बेड के एमसीएच विंग के निर्माण व व्यवस्था को लेकर कई सवाल छोड़ गई। ऑपरेशन थिएटर और एसएनसीयू के लिए एमसीबी पैनल ही नहीं लगाया गया। लिहाजा, शॉर्ट सर्किट से धमाके होते रहे और चिंगारियां भड़कती रहीं।
वर्ष 2018 में जिला महिला अस्पताल परिसर में सौ बेड के मैटरनल एंड चाइल्ड हेल्थ (एमसीएच) विंग की शुरुआत हुई थी। बताया जाता है कि इसके निर्माण के दौरान प्रयोग की सामग्री की गुणवत्ता काफी खराब थी। मंगलवार को शॉर्ट सर्किट होने के बाद मरम्मत कार्य शुरू हुआ। बिजली मिस्त्री के मुताबिक जहां शॉर्ट सर्किट हुआ, वहां सीलिंग में सीलन थी। वायरिंग के तारों को ढंकने के लिए लगा सेफ्टी पाइप भी गल चुका था।
आशंका जताई कि सीलन की वजह से शॉर्ट सर्किट हुआ। एमसीबी पैनल न होने से यह अनियंत्रित हो गया। बिजली मिस्त्री ने संभावना जताई कि एमसीबी पैनल होता तो ऐसी घटना नहीं होती। क्योंकि, जैसे ही शॉर्ट सर्किट होता, एमसीबी पैनल से आपूर्ति बंद हो जाती।
अब जागे : लगवाएंगे एमसीबी पैनल
मैंने पिछले माह ही चार्ज संभाला है। ओटी और वार्ड समेत विंग की सभी यूनिटों में अलग-अलग एमसीबी पैनल लगाने के लिए कहा है। अस्पताल का स्टाफ अग्निशमन के लिए प्रशिक्षित है। अग्निशमन उपकरण क्रियाशील हैं, जिन्हें निर्धारित अवधि में जांचा जाता है। -डॉ. त्रिभुवन प्रसाद, सीएमएस
12 घंटे बाद पहुंचे अफसर
घटना के 12 घंटे बाद देर शाम एडीएम सिटी सौरभ दुबे, सिटी मजिस्ट्रेट रेन सिंह, सीएमओ डॉ. विश्राम सिंह ने महिला अस्पताल पहुंचकर घटना के बारे में जानकारी ली। उधर, इमरजेंसी स्टाफ का दावा है कि मंगलवार को सिजेरियन प्रसव की तिथि नहीं थी। सीएमएस ने सिजेरियन वार्ड के लिए विकल्प के तौर पर जेनरेटर लगाने की बात कही है।