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देश में वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी हिंसक घटनाओं में देखी गई कमी, संसद में बोली मोदी सरकार
jantaserishta.com
15 March 2022 11:08 AM GMT
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नई दिल्ली: संसद में मंगलवार को 2018 से 2021 तक लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिज़्म यानी वामपंथी उग्रवाद (LWE) से जुड़ी हिंसक घटनाओं और मौतों का ब्यौरा मांगा गया था. साथ ही, यह सवाल भी किया गया था कि क्या सरकार ने स्वेच्छा से हथियार डालने वाले नक्सली विद्रोहियों को माफी देने का फैसला किया है. इसपर गृह मंत्रालय ने जवाब दिया है.
संसद में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लिखित जबाव देते हुए कहा है कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के मुताबिक, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था के विषय राज्य सरकारों के पास हैं. हालांकि, भारत सरकार वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों की मदद कर रही है. इसके लिए 2015 में राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना शुरू की गई थी. इस नीति की वजह से केरल राज्य सहित, पूरे देश में हिंसा की घटनाएं कम हुई हैं.
गृह मंत्रालय का कहना है कि वामपंथी उग्रवाद की हिंसक घटनाएं 2009 में 2258 पर थीं, जो अब तक का सबसे उच्चतम स्तर था. ये घटनाएं 2021 में 509 पर आ गई हैं. इन घटनाओं में 77 प्रतिशत की कमी हुई है.
गृह मंत्रालय का कहना है कि इसी तरह इन घटनाओं में होने वाली मौतें, जिनमें नागरिक और सुरक्षा बल शामिल हैं, उनमें भी 85% की कमी आई है. 2010 में 1005 लोगों की मौत हुई थीं, जो 2021 में घटकर 147 हो गई हैं.
गृह मंत्रालय के मुताबिक, 2018 में 883 घटनाएं हुईं, जिनमें 240 लोगों की मौत हुई थी. 2019 में 670 घटनाएं हुईं, जिनमें 202 लोग मारे गए थे. 2020 में 665 घटनाएं हुईं, जिनमें 183 लोगों की मौत हुई और 2021 में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित 509 हिंसक घटनाएं हईं, जिनमें 147 लोगों की मौत हुई.
गृह मंत्रालय का कहना है कि वामपंथी उग्रवादियों को मुख्यधारा में शामिल होने के लिए, प्रोत्साहित करने को लेकर राज्यों की अपनी आत्मसमर्पण सह पुनर्वास नीतियां हैं. केंद्र सरकार भी सुरक्षा संबंधी व्यय यानी सिक्योरिटी रिलेटेड एक्पेंडिचर (एसआरई) योजना के हिस्से के तौर पर आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति के ज़रिए राज्यों की मदद करती है. एसआरई स्कीम के तहत, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों द्वारा आत्मसमर्पण करने वाले लोगों के पुनर्वास पर किए गए खर्च को भारत सरकार देती है.
रिहैबिलिटेशन पैकेज में बाकी चीजों के साथ-साथ, तत्काल अनुदान शामिल है. इसमें उच्च रैंक वाले वामपंथी उग्रवादियों के लिए 5 लाख और अन्य के लिए 2.5 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है. इसके अलावा, हथियार/गोला-बारूद केा समर्पण करने पर इनसेंटिव भी दिया जाता है. साथ ही, तीन साल तक 6000 रुपये के मासिक वजीफे के साथ उनकी पसंद के व्यवसाय में प्रशिक्षण देने का भी प्रावधान है.
गृह मंत्रालय ने पिछले चार सालों के दौरान आत्मसमर्पण करने वाले वामपंथी उग्रवादियों की जानकारी भी दी. उन्होंने बताया कि 2018 में 644, 2019 में 440, 2020 में 475 और 2021 में 736 वामपंथी उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है.
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