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जानलेवा बीमारी ट्यूबरक्लोसिस या टीबी का मौजूदा इलाज अभी लंबा होता है। लेकिन अब इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में भारत ने नए हथियार की खोज कर ली है। सरकारी सूत्रों के अनुसार जल्द ही भारत में वयस्कों के लिए एक रिकॉम्बिनेंट बीसीजी टीका उपलब्ध हो सकता है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया एक रिकॉम्बिनेंट बीसीजी टीके पर काम कर रही है। वयस्कों पर तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है।
2025 तक उपलब्ध हो सकता है टीका
सूत्रों का कहना है कि वयस्कों के लिए रिकॉम्बिनेंट बीसीजी टीका एक साल या इसके आसपास उपलब्ध हो सकता है। यह वर्ष 2025 तक भारत के टीबी उन्मूलन अभियान की सफलता के लिए महत्त्वपूर्ण हो सकता है। हाल ही में आई इंडिया टीबी रिपोर्ट 2022 के मुताबिक, भारत में वर्ष 2021 के दौरान टीबी के मामलों में पिछले वर्ष की तुलना में 19 फीसदी का तीव्र इजाफा भी देखा गया है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, करीब 30 फीसदी आबादी के शरीर में पहले से ही टीबी का बैक्टीरिया है। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों में बैक्टीरिया बढ़ना शुरू कर देता है। अगर पोषण संतुलन बनाए रखा जाए तो जिंदगी में टीबी रोग की चपेट में आने की आशंका केवल 10 फीसदी होती है। वर्तमान में एक वर्ष से कम आयु वाले शिशुओं को बीसीजी का टीका लगाया जाता है। यह बच्चों को बचपन में टीबी के गंभीर रूपों से बचाता है। हालांकि वयस्कों के पास कोई टीका सुरक्षा नहीं है।
ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा की वेबसाइट के अनुसार, 16 वर्ष से अधिक आयु वाले किसी भी व्यक्ति बीसीजी का टीका शायद ही कभी दिया जाता है क्योंकि इस बात के काफी कम प्रमाण मिलते हैं कि यह टीका वयस्कों में काफी अच्छा काम करता है। हालांकि यह 16 से 35 वर्ष की आयु वाले ऐसे वयस्कों को दिया जाता है, जिनमें उनके काम की प्रकृति के कारण टीबी का खतरा होता है।
वीपीएम1002 टीके की अनुमति मांगी
रिकॉम्बिनेंट बीसीजी टीके उन्नत प्रौद्योगिकी के जरिए निर्मित किए जाते हैं। एसआईआई ने पहले ही भारत के दवा विनियामक से दक्षिण अफ्रीकी परीक्षणों के आंकड़ों के आधार पर छह साल तक के बच्चों के लिए टीबी की रोकथाम के वास्ते रिकॉम्बिनेंट बीसीजी टीके (वीपीएम1002) की अनुमति मांग ली है। एसआईआई ने शिशुओं पर दक्षिण अफ्रीका के परीक्षणों से प्राप्त आंकड़े अप्रैल में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन को सलाह देने वाली विषय विशेषज्ञ समिति के समक्ष पेश किए थे। 2,000 वयस्क प्रतिभागियों में टीबी की रोकथाम के उद्देश्य से चरण दो और तीन का परीक्षण जारी है।
बैठक के विवरण के अनुसार एसईसी ने तब कहा था कि एसआईआई के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए उसे प्रस्तावित सुझाव और छह वर्ष तक की आयु वाले बच्चों के समूह में सुरक्षा और प्रतिरक्षा संबंधी डाटा पेश करना चाहिए। अगर भारत छह साल तक के बच्चों के लिए आरबीसीजी की सुरक्षा के दायरे में विस्तार करने का फैसला करता है, तो इससे भी इस सुरक्षा दायरे में काफी इजाफा होगा। इसके अलावा चूंकि चल रहे वयस्क परीक्षण (2,000 से अधिक के प्रतिभागियों पर) के आंकड़े आने वाले हैं। इसलिए आरबीसीजी टीके के समान सुरक्षा दायरे का विस्तार वयस्कों के लिए भी किया जा सकता है। वहीं, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा 12,000 प्रतिभागियों में आरबीसीजी टीके का तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण किया जा रहा है। आईसीएमआर ने अभी तक इस क्लिनिकल परीक्षण के आंकड़े पेश नहीं किए हैं।
Rani Sahu
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