भारत
मुख्यमंत्रियों और जजों के सम्मेलन का वाकया, पढ़े जब फौरन ऑडियो म्यूट करा दिया गया
jantaserishta.com
1 May 2022 11:31 AM GMT
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फाइल फोटो
नई दिल्ली: दिल्ली के विज्ञान भवन में देशभर के हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन हुआ. इसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शमिल हुईं.ममता बनर्जी जब कलकत्ता में जजों की तय क्षमता के मुकाबले कम संख्या पर बोल रही थीं तब उनकी आवाज छह नंबर हॉल में बैठे मीडियाकर्मियों के पास पहुंच रही थीं. हालांकि, अधिकारियों की इसकी भनक नहीं थी कि आवाज बाहर जा रही है. जब अधिकारियों को पता चल गया कि मीडिया को सब पता चल रहा है, तो थोड़ी देर में ही एक अफसर ने आकर कुछ तकनीकी लोगों को बुलाकर फौरन ऑडियो म्यूट करा दिया. फिर आवाज मीडिया तक पहुंचनी बंद हो गई. ममता लगातार कोर्ट में जजों की कम संख्या पर बरस रही थीं.
आज तक की खबर के मुताबिक ममता बनर्जी की बातों से वहां बैठे मीडियाकर्मियों को इस बात का अंदाजा हो गया था कि सम्मेलन में दोनों ओर से असंतोष है फिर चाहे वो विधायिका से जुड़े लोग हों या फिर न्यायपालिका से. जजों के खाली पड़े पदों पर भर्ती की बेहद धीमी प्रक्रिया का मलाल था तो सरकार अदालतों में लंबित मामलों की संख्या पर खुश नहीं थी. ममता ने सम्मेलन में केस पेंडिंग की टेंडेंसी का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में क्या और निचली अदालतों में क्या! पेंडिंग की ट्रेडिंग है. हर जगह दिक्कत है.
कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट परिसर अब छोटा पड़ने लगा है. कोर्ट रूम भी छोटे और कम हैं. 72 जजों की क्षमता के मुकाबले 38 ही जज सेवारत हैं. वहीं इस सम्मलेन में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने कहा कि हाईकोर्ट में भी जगह इमारतों और बुनियादी ढांचे की कमी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने भी वहां बुनियादी ढांचे की लचर व्यवस्था का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में पार्किंग की किल्लत है. वकीलों के चेंबर भी कम हैं. मल्टीलेवल पार्किंग भी चाहिए.
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