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दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा: वक्फ एक्ट की वैधता को चुनौती, जानें क्या है पूरा मामला
jantaserishta.com
13 May 2022 11:43 AM GMT
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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट में वक्फ एक्ट 1995 को चुनौती दी गई है. इस मामले में एक याचिका दायर की गई है. याचिका में वक्फ एक्ट 1995 को संविधान का उल्लंघन बताया गया है. याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और सेंट्रल वक्फ काउंसिल से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है.
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि केंद्र सरकार के पास देश के गैर-मुस्लिम नागरिकों को छोड़कर 'वक्फ' और धार्मिक संपत्तियों से जुड़े कानून बनाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है. इसमें आगे कहा गया है कि वक्फ संपत्तियों का मैनेजमेंट धार्मिक आधार पर किया जाता है और सरकार को दूसरे धर्मों को छोड़कर सिर्फ एक धर्म के लिए इसे रेगुलेट करने की अनुमति नहीं है.
इस याचिका में वक्फ एक्ट 1995 की धारा 4, 5, 6, 7, 8, 9, 14 और 16(a) की वैधता को चुनौती दी गई है. इसमें ये भी कहा गया है कि इस एक्ट के तहत गठित ट्रिब्यूनल के जरिए वक्फ बोर्डों को बेलगाम शक्तियां मिल रहीं हैं.
याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला ने केंद्र सरकार और सेंट्रल वक्फ काउंसिल को नोटिस जारी किया है. इनसे 4 हफ्तों में जवाब मांगा गया है. इस मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.
'वक्फ' क्या होता है?
- वक्फ का मतलब किसी भी धार्मिक काम के लिए किया गया कोई भी दान होता है. ये दान पैसे या संपत्ति का हो सकता है. इस्लाम में किसी इंसान का धर्म के लिए किया गया किसी भी तरह का दान वक्फ कहलाता है.
- इसके अलावा अगर किसी संपत्ति को लंबे समय तक धर्म के काम में इस्तेमाल किया जा रहा हो, तो उसे भी वक्फ माना जा सकता है. अगर कोई एक बार किसी संपत्ति को वक्फ कर देता है तो उसे फिर वापस नहीं लिया जा सकता.
वक्फ एक्ट क्या है?
- वक्फ संपत्तियों की देखरेख के लिए 1955 में वक्फ एक्ट बनाया गया था. इसके तहत सेंट्रल वक्फ काउंसिल का गठन किया गया था, जिसका काम सभी राज्यों के वक्फ बोर्डों की निगरानी करना है.
- इस काउंसिल के अध्यक्ष अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री होते हैं. अभी मुख्तार अब्बास नकवी इसके अध्यक्ष हैं. ये काउंसिल सभी वक्फ बोर्डों की मदद भी करता है, जिसे मुशरुत अल खिदमत कहा जाता है.
- 1995 में इस कानून में संशोधन किया गया था. अब वक्फ बोर्ड की देखरेख इसी कानून के तहत होती है. 2013 में भी इस कानून में कुछ संशोधन किए गए थे.
- वक्फ एक्ट 1882 के इंडियन ट्रस्ट एक्ट की तरह ही है. हालांकि, ट्रस्ट को एक बड़े मकसद से सेट अप किया जा सकता है. ट्रस्ट धार्मिक या चैरिटी के लिए बना सकते हैं. इसके अलावा ट्रस्ट को बोर्ड मेंबर्स भंग भी कर सकते हैं, लेकिन वक्फ में ऐसा नहीं होता.
- सभी राज्यों के वक्फ बोर्डों के ऊपर एक सेंट्रल वक्फ काउंसिल होती है. ये काउंसिल अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन होती है. इस काउंसिल के अध्यक्ष अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री होते हैं.
वक्फ बोर्ड क्या होता है?
- जब कोई मुस्लिम अपनी संपत्ति दान कर देता है तो उसकी देखरेख का जिम्मा वक्फ बोर्ड के पास ही होता है. वक्फ बोर्ड के पास दान दी गई किसी भी संपत्ति पर कब्जा रखने या उसे किसी और को देने का अधिकार होता है. वक्फ का काम देखने वालों को मुतावली कहा जाता है.
- हर राज्य के अलग-अलग वक्फ बोर्ड होते हैं. इस समय 32 राज्यों में वक्फ बोर्ड हैं. वक्फ बोर्ड को कोर्ट समन भी जारी कर सकती है. वक्फ बोर्ड में एक अध्यक्ष, राज्य सरकार की ओर से एक या दो नामित व्यक्ति, मुस्लिम विधायक और सांसद, राज्य बार काउंसिल के मुस्लिम सदस्य और इस्लाम के जानकार होते हैं.
- वक्फ बोर्ड के पास दान दी गई संपत्ति पर कब्जा करने का अधिकार होता है. वक्फ की संपत्ति को किसी को भी ट्रांसफर करने, बेचने, तोहफे के तौर पर देने या लीज पर देने की मनाही है. ऐसा तभी हो सकता है जब बोर्ड के दो तिहाई सदस्य इसकी मंजूरी दें.
- वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के डेटा के मुताबिक, जुलाई 2020 तक देशभर में कुल 6,59,877 संपत्तियां वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज है. यानी, करीब 8 लाख एकड़ जमीन वक्फ बोर्डों के पास है.
क्या किसी भी संपत्ति पर वक्फ कब्जा कर सकता है?
- अक्सर ऐसा मान लिया जाता है या कहा जाता है कि वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति पर कब्जा कर सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है. वक्फ एक्ट 1995 की धारा 40 के मुताबिक, अगर वक्फ को कोई ऐसा कारण लगता है कि ये संपत्ति वक्फ की है, तो बोर्ड उन्हें नोटिस भेज सकता है.
- एक सवाल ये भी उठता है कि क्या बोर्ड किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित कर सकता है? तो इसका जवाब भी वक्फ एक्ट की धारा 3 में मिलता है. इसमें लिखा है कि उसी संपत्ति को वक्फ घोषित किया जा सकता है, जो मुस्लिम लॉ की ओर से मान्यता प्राप्त किसी धार्मिक या चैरिटेबल काम के लिए दान में दी गई हो.
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