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Gold: भारत आया 100 टन सोना, जानें उद्देश्य

jantaserishta.com
31 May 2024 10:56 AM GMT
Gold: भारत आया 100 टन सोना, जानें उद्देश्य
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Gold नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से 100 टन सोना यूके के वॉल्ट से भारत वापस मंगाया गया है। इसका उद्देश्य सोना जमा करने की लागत कम करना था। मीडिया रिपोर्ट्स में ये जानकारी दी गई है।
1991 के बाद यह पहली बार है जब भारत की ओर से इतनी बड़ी मात्रा में विदेश से सोना वापस मंगाया गया है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के सदस्य और अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने कहा, "आरबीआई ने 100 टन सोना यूके से भारत में शिफ्ट किया है।"
उन्होंने आगे कहा कि कई देशों की ओर से बैंक ऑफ इंग्लैंड के वॉल्ट में गोल्ड रखा जाता है। इसके लिए एक फीस भी अदा की जाती है। भारत अब अपना ज्यादातर सोना अपने पास रखता है। 1991 में संकट के दौरान हमें अपने सोने के विदेश में गिरवी रखना पड़ा था, लेकिन अब हम वहां से काफी आगे आ गए हैं। 1990-91 के दौरान विदेश में सोना भेजना हमारी पीढ़ी के लिए विफलता थी और उसे कभी नहीं भूला जा सकता। इस कारण से विदेश से वापस सोना आना काफी स्पेशल है।
1991 में जब देश संकट में था और आयात करने के पैसे नहीं थे। तब की चंद्रशेखर सरकार ने बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ जापान में 46.91 टन सोना गिरवी रखकर 400 मिलियन डॉलर उधार लेने का फैसला किया था।आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च, 2024 तक केंद्रीय बैंक के पास 822.10 टन सोना है। पिछले साल समान अवधि में ये आंकड़ा 794.63 टन पर था।
सोने में निवेश सुरक्षित होने के कारण अन्य केंद्रीय बैंकों की तरह आरबीआई भी इसमें निवेश करता है। देश की मुद्रा को स्थिर रखने में भी सोने का काफी महत्व होता है। वैश्विक अस्थिरता और बढ़ती हुई महंगाई की स्थिति में सोना एक हेज के रूप में कार्य करता है। अप्रैल 2024 तक भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी बढ़कर 8.7 प्रतिशत हो गई है जो कि दिसंबर 2023 में 7.75 प्रतिशत पर थी।
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