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RAS Exam Success Story: इन 3 बेटियों ने अफसर बन रचा इतिहास, सफलता पाने से पहले किया इन मुश्किलों का सामना

Renuka Sahu
17 July 2021 6:16 AM GMT
RAS Exam Success Story: इन 3 बेटियों ने अफसर बन रचा इतिहास, सफलता पाने से पहले किया इन मुश्किलों का सामना
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फाइल फोटो 

आपने आज से पहले पूरे मनोयोग से सड़कों की सफाई करने वाले कर्मचारियों को देखा होगा, लेकिन क्या कभी ये सुना है कि सड़कों को साफ करने वाला कर्मचारी अपनी मेहनत और लगन से बड़ा अधिकारी बन गया हो. राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (RAS) की परीक्षा में जोधपुर की आशा कंडारा की सफलता ने बहुत सी महिलाओं को प्रेरणा दी है. आशा ने पति से तलाक के बाद ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. बच्चों की परवरिश के लिए सफाई कर्मचारी की नौकरी की और जी तोड़ मेहनत करके आरएएस परीक्षा में सफलता भी हासिल कर ली.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आपने आज से पहले पूरे मनोयोग से सड़कों की सफाई करने वाले कर्मचारियों को देखा होगा, लेकिन क्या कभी ये सुना है कि सड़कों को साफ करने वाला कर्मचारी अपनी मेहनत और लगन से बड़ा अधिकारी बन गया हो. राजस्थान एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (RAS) की परीक्षा में जोधपुर की आशा कंडारा की सफलता ने बहुत सी महिलाओं को प्रेरणा दी है. आशा ने पति से तलाक के बाद ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. बच्चों की परवरिश के लिए सफाई कर्मचारी की नौकरी की और जी तोड़ मेहनत करके आरएएस परीक्षा में सफलता भी हासिल कर ली.

जोधपुर की सड़कों पर झाड़ू लगाने वाली सफाई कर्मचारी आशा की आंखों में आज सफलता की चमक है. जोधपुर नगर निगम के दफ्तर में आज खुद महापौर उनका सम्मान कर रही हैं. जिन अधिकारियों और ऊंचे पदों पर बैठे लोगों के सामने शायद आशा को कभी खड़े होने का मौका न मिला हो आज वो आशा के साथ बैठकर गर्व महसूस कर रहे हैं. मुसीबतें, अभाव और कठिन परिस्थितियां जिन्हें तोड़ नहीं पाती, वो ही ऐसे सम्मान के हकदार होते हैं.
बता दें कि आशा जोधपुर नगर निगम में सफाई कर्मचारी थीं. आठ साल पहले पति से अनबन के कारण उनका तलाक हो गया. आशा पर दो बच्चों के लालन-पालन की जिम्मेदारी थी. कोई और होता तो टूट जाता. लेकिन आशा ने हिम्मत नहीं हारी. पहले ग्रेजुएशन किया और फिर आरएएस की तैयारी शुरू कर दी.
लोगों के ताने बने आशा की प्रेरणा
आप सुनकर हैरान हो जाएंगे लेकिन लोगों से मिलने वाले तानों ने उनको इतना मजबूत बना दिया कि आज वो इस मुकाम तक पहुंच गईं. जान लें कि जिस साल आशा ने आरएएस की मेन्स परीक्षा दी, उसी साल उनका सफाई कर्मचारी पद पर चयन हो गया. आशा पर जिम्मेदारियां ज्यादा थीं, इसलिए उन्होंने सफाई कर्मचारी का काम शुरू कर दिया.
कोई काम छोटा नहीं होता
खास बात ये है कि किसी काम को छोटा नहीं मानने वाली आशा सफाई कर्मचारी का काम भी उतनी ही मेहनत और लगन से करतीं जितनी मेहनत से आरएस परीक्षा की तैयारी की.
बेटी की सफलता पर परिवार भावुक
आशा अपने परिवार को इस सफलता का श्रेय देती हैं. आशा का परिवार उनकी मेहनत और संघर्ष का सबसे बड़ा गवाह है. जीवन को संघर्ष मानने वाले आशा के पिता राजन कंडारा अपनी बेटी की सफलता से गौरवान्वित हैं और उनकी मां कितनी खुश हैं ये बताते-बताते उनकी आंखें भीग गईं.
RAS परीक्षा में हासिल किया पहला और तीसरा स्थान
जोधपुर की आशा कंडारा के बाद हम आपको राजस्थान की दो ऐसी बेटियों की कहानी के बारे में बताते हैं, जिन्होंने आरएएस परीक्षा में पहला और तीसरा स्थान हासिल किया है. 10 साल तक आईटी कंपनी में नौकरी करने वाली मुक्ता राव शादी के 14 साल बाद आरएएस परीक्षा की टॉपर बनीं. वहीं शिवाक्षी ने अपने पिता की बीमारी और निधन के बावजूद पहले प्रयास में इस परीक्षा में तीसरा स्थान हासिल किया.
आरएएस का रिजल्ट आया तो इसी के साथ सफलता की ऐसी-ऐसी कहानियां भी सामने आईं जो लोगों का हौसला बढ़ाने वाली हैं. मुक्ता राव की सफलता बताती है कि अगर लक्ष्य तय हो तो उसे पाने में न तो उम्र और न ही शादी बाधा बन सकती है. मुक्ता की शादी को 14 साल हो चुके हैं. दस साल का बेटा है और उम्र चालीस साल है. इसके बावजूद वो आरएएस की टॉपर बनी.
मुक्ता राव ने कहा कि बहुत खुशी हुई भगवान ने मेरी झोली खुशियों ने भर दी है. कोई चुनौती बड़ी नहीं, जिसे हम पार नहीं कर सकते. बता दें कि स्वतंत्रता सेनानी रहे दादा जी मुक्ता के आदर्श बने. ससुर ने प्रतिभा को देखते हुए उनका हौसला बढ़ाया. मुक्ता ने जी तोड़ मेहनत की और परिणाम सबके सामने हैं.
टॉपर की सफलता की कहानी
बता दें कि मुक्ता ने इंफोसिस में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर दस साल तक नौकरी की. फिर आईटी क्षेत्र की नौकरी छोड़कर खुद को आजमाने के लिए 2015 में नेट का एग्जाम दिया. उन्होंने 2016 में आरएएस परीक्षा दी और 848वीं रैंक हासिल की. फिर दोबारा तैयारी की और आरएएस परीक्षा 2018 में भी भाग्य आजमाया. इस बार वो टॉपर बन गईं.
शिवाक्षी ने परीक्षा में हासिल की तीसरी रैंक
शिवाक्षी ने पहले ही प्रयास में आरएएस की परीक्षा पास कर ली और तीसरी रैंक भी हासिल की. दो महीने पहले शिवाक्षी के पिता इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन बेटी ने पिता का सपना पूरा करके उन्हें श्रद्धांजलि दी. शिवाक्षी ने बताया कि प्री और मेन्स के समय तबियत खराब थी. लेकिन मैंने फोकस बनाए रखा. परिवार के सपोर्ट की वजह से मैं यहां पर हूं.
अब शिवाक्षी एजुकेशन और हेल्थ सेक्टर में अच्छा काम करके समाज की मदद करना चाहती हैं. शिवाक्षी के पिता की तबियत खराब रहती थी. जाहिर सी बात है कि परिवार तनाव में रहता होगा. लेकिन शिवाक्षी ने कभी इस परेशानी को पढ़ाई पर हावी होने नहीं दिया. साइंस बैकग्राउंड से आरएएस की परीक्षा में तीसरा स्थान हासिल करके शिवाक्षी से साबित किया है जो मुश्किल परिस्थितियों में नहीं घबराते वो सफलता के आसमान में अपना मुकाम जरूर बनाते हैं.


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