रैपिड रेल बदलेगी देश में रेलवे का ढांचा, यूरोपियन ढांचे से करेगी मुकाबला
दिल्ली: देश की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन यानि रैपिड फुली आॅटोमैटिक सिस्टम पर बेस्ड है। एटीपी (आॅटोमैटिक ट्रेन प्रोटैक्शन ) एटीसी (आॅटोमैटिक ट्रेन कंट्रोल) और एटीओ (आॅटोमैटिक ट्रेन आॅपरेशन) यानि कि ट्रेन की पूरी की पूरी संचालन प्रणाली आॅटोमैटिक सिस्टम पर ही आधारित होगी। एक प्रकार से रैपिड ट्रेन देश में रेलवे का आधारभूत ढांचा ही बदल कर रख देगी। कई लोग अभी से रैपिड की तुलना यूरोपियन रेल ढांचे से कर रहे हैं।
दरअसल, रैपिड रेल आकर्षक और आधुनिक डिजाइन के आधार पर बनाई गई है। इसमें रिजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम भी है जिससे बिजली भी पैदा होगी। रैपिड की एक और खास बात यह है कि इसमें लांग टर्म इवॉल्यूशन (एलटीई) को जोड़ा गया है। गौरतलब है कि मोबाइल का 4जी नेटवर्क भी लांग टर्म इवॉल्यूशन के सहारे ही चलता है। इन सब के साथ ट्रेन का टिकट सिस्टम भी बेहद आधुनिक होने जा रहा है।
अगर आपको ट्रेन के प्रीमियम कोच में सफर करना है तो टिकट को आॅटोमेटिक फेयर कलेक्शन गेट (एएफसी) पर दो बार पंच करना होगा। रैपिड सिस्टम में आॅटोमेटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम (एएफसी) और क्यूआर कोड टिकट होंगे। इन टिकटों को यात्रा से पहले एनसीआरटीसी मोबाइली एप और इसकी वेबसाइट से जेनरेट करना होगा। रैपिड अधिकारियों के अनुसार ट्रेन में एंट्री क्यूआर कोड की स्कैनिंग के बाद ही संभव है।
इसके अलावा अगर सुविधाओं की बात करें तो ट्रेन की सीटें जहां हवाई जहाज की सीटों जैसी होंगी वहीं सीट के पास ही मोबाइल चार्जिंग सुविधा होगी। यात्रियों को ट्रेन के भीतर ही वाईफाई सुविधा भी उलपब्ध होगी। आपातकालीन स्थिति में ट्रेन के अंदर स्ट्रेचर पर मरीज को ले जा भी सकते हैं।
एनसीआरटीसी अधिकारियों के अनुसार जब रैपिड दिल्ली मेरठ कॉरिडोर पर चलेगी तब वो हर साल 2.50 लाख टन कार्बन उत्सर्जन कम करेगी। इसके अलावा ट्रेन हर साल पर्यावरण से 60 हजार टन पीएम 2.5 कण कम करेगी। इसके अलावा यह टेÑेन नाइट्रोजन आॅक्साइड कण, हाइड्रोकार्बन कण व कार्बन मोनो आॅक्साइड कण भी कम करेगी।