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2 साल की बच्ची से रेप: मां ने नहीं दी गवाही, SHO ने खुद FIR दर्ज करवाकर आरोपी को दिलाई उम्रकैद

jantaserishta.com
22 Nov 2021 5:57 AM GMT
2 साल की बच्ची से रेप: मां ने नहीं दी गवाही, SHO ने खुद FIR दर्ज करवाकर आरोपी को दिलाई उम्रकैद
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नई दिल्ली: अक्सर देखने को मिलता है कि किसी मामले की जांच के दौरान पुलिस की लापरवाही के कारण दोषी सजा पाने से बच जाते हैं और पीड़ित को न्याय नहीं मिल पाता है। लेकिन इस मामले में राजस्थान के बीकानेर में तैनात एक एसएचओ धीरेंद्र सिंह ने मिसाल पेश की है। दो साल की मासूम से बलात्कार के मामले में उसे न्याय दिलाने के लिए इस पुलिस अधिकारी ने जिस तरह का जज्बा दिखाया, उसकी तारीफ हर कोई कर रहा है। धीरेंद्र सिंह ने दो साल की मासूम का केस खुद लड़ा जबकि मां ने एफआईआर तक दर्ज कराने से इनकार कर दिया था।

इस पुलिसकर्मी के जज्बे की तारीफ करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य के कोरिया जिले के एसपी IPS संतोष सिंह ने ट्वीट किया, "मां ने गवाही से इंकार कर दिया, लेकिन एसएचओ ने बच्ची से रेप के मामले में आखिरकार दोषी को सजा दिला ही दिया। मुझे ऐसे कई मामले याद आते हैं जहां मां सहित कई रिश्तेदार नाबालिग पीड़ित के साथ खड़़ा होने से इनकार कर देते हैं।"
ये पूरा मामला राजस्थान के बीकानेर का है जहां कोर्ट ने दो साल की बच्ची के साथ रेप कर उसे जंगल में फेंकने के मामले में दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके बाद पूरे मामले की जांच की कहानी सामने आई, जिसमें एसएचओ धीरेंद्र सिंह की बड़ी भूमिका रही। साल 2016 में धीरेंद्र सिंह बीकानेर बीछवाल पुलिस थाने में बतौर इंचार्ज तैनात थे, तब उनको जंगल में एक बच्ची के मिलने की सूचना मिली। जब वे जंगल में गए तो वहां से बच्ची को उठाया और उसे अस्पताल पहुंचाया।
अस्पताल में जब डॉक्टर ने दो साल की बच्ची के साथ रेप की पुष्टि की तो वे हैरान रह गए और उसके मां-बाप को तलाशने लगे। काफी कोशिशों के बाद परिजन तो मिले लेकिन उन्होंने केस दर्ज कराने से इनकार कर दिया। लेकिन धीरेंद्र सिंह ने हिम्मत नहीं हारी और इस केस की जांच करते हुए सबूत जुटाने में लग गए।
मां ने केस दर्ज कराने से किया इनकार, गवाही से पीछे हटी: जब बार-बार मां-बाप पीछे हटते तो धीरेंद्र सिंह खुद आगे आए और उन्होंने परिवादी बनकर मामला दर्ज कराया। इस बीच, चार साल तक उनका ट्रांसफर होता रहा लेकिन वे मासूम को न्याय दिलाने के लिए कोशिश करते रहे। दूसरे जिलों में तबादला होने के बाद भी वे इस मामले में सबूत इकट्ठा करते रहे। कई बार मां ने गवाही देने से भी मना कर दिया। आखिरकार धीरेंद्र सिंह की कोशिशें रंग लाई और आरोपी छोटूराम को बीकानेर कोर्ट ने आजीवन करावास की सजा सुनाई।


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