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10 साल की बच्ची से रेप: 7 घंटे में चालान पेश, 9 दिन में आरोपी को मिली ये सजा

jantaserishta.com
5 Oct 2021 10:57 AM GMT
10 साल की बच्ची से रेप: 7 घंटे में चालान पेश, 9 दिन में आरोपी को मिली ये सजा
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राजधानी से बड़ी खबर.

जयपुर. राजधानी जयपुर की पोक्सो कोर्ट-3 मेट्रो-1 (POCSO Court) ने 10 वर्षीय मासूम बच्ची से हुये रेप केस (Rape Case) के बाद महज 9 दिन में आज अपना फैसला (Verdict) सुना दिया है. कोर्ट ने अभियुक्त कमलेश मीणा को 20 साल की सजा सुनाई है. यह राजस्थान का संभवतया पहला मामला है जिसमें इतनी जल्दी ट्रायल हुआ है. मासूम के साथ 27 सितंबर को कोटखवादा थाना इलाके में हुआ रेप हुआ था. पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुये आरोपी को तत्काल गिरफ्तार महज 7 घंटे में चालान पेश कर दिया था. उसके बाद अभियोजन ने 5 कार्य दिवस में ट्रायल किया पूरा किया.

वहीं राजस्थान में पहली बार इस मामले में वीसी से पीड़िता के बयान हुये थे. फैसला जज विकास खंडेलवाल की कोर्ट ने सुनाया है. पीड़िता अस्पताल में भर्ती होने के के कारण कोर्ट नहीं आ सकती थी. इसलिये उसके बयान वीसी के माध्यम से दर्ज किये गये थे. कोर्ट ने रेपिस्ट कमलेश मीणा पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. फैसला सुनाने जाने के दौरान वह कोर्ट रूम में सिर झुकाए खड़ा रहा.
कोटखावदा थाना इलाके में 26 सितंबर की शाम को कमलेश मीणा ने बच्ची को उसके घर छोड़ने के बहाने पास के खेत मे ले जाकर रेप किया था. अभियोजन के अनुसार बच्ची घर का सामान लेने बाहर गई थी. वहां आरोपी उससे मिला. उसने बच्ची से कहा कि वह उसके चाचा को रुपए देने उसके घर ही जा रहा है. वह उसके साथ चले. वह उसे घर छोड़ देगा. लेकिन उसके बाद कमलेश ने पीड़िता को सुनसान जगह ले जाकर उसके साथ रेप की वारदात को अंजाम दिया. वहीं उसे जान से मारने की नीयत से उसका गला भी दबाया. बच्ची को मरा समझ आरोपी वहां से फरार हो गया.
घटना के बाद कोटखावदा थाना पुलिस ने मामला दर्ज करके आरोपी को तत्काल गिरफ्तार किया. आरोपी की गिरफ्तारी के महज 7 घंटे बाद ही मामले में चालान पेश कर दिया. उसके बाद अभियोजन की ओर से विशिष्ट लोक अभियोजक रचना मान ने कोर्ट से मामले के शीघ्र विचारण का अनुरोध किया. इसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए ट्रायल शुरू किया. अभियोजन ने मामले में तेजी दिखाते हुए मात्र 5 कार्य दिवस में ट्रायल पूरा कर सोमवार को अंतिम बहस की थी.
ट्रायल की टाइम लाइन
घटना- 26 सितंबर
एफआईआर- 27 सितंबर रात 12:23 बजे
गिरफ्तारी- 27 सितंबर दोपहर 12 बजे
चालान- 27 सितंबर शाम 7 बजे
ट्रायल शुरू- 28 सितंबर
अंतिम बहस- 4 अक्टूबर
फैसले का दिन- 5 अक्टूबर दोपहर में
पहली बार वीसी से हुए किसी पीड़िता के बयान
राजस्थान में सितंबर से ही परिवादी, गवाह और अन्य के बयान वीसी से कराने की व्यवस्था लागू हुई है. एसपीपी रचना मान ने बताया कि पीड़िता का जयपुरिया अस्पताल में इलाज चल रहा था. वह ऐसी स्थिति में नहीं थी कि कोर्ट में आ सके. वहीं पीड़िता पर लगातार दवाब बनाने की बातें भी सामने आ रही थी. इस पर हमारी गुजारिश पर कोर्ट ने अस्पताल से ही वीसी के जरिए पीड़िता के बयान दर्ज किए. पूरे मामलें में आरोपी को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से वकील उपलब्ध करवाया गया.



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