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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद के खिलाफ दुष्कर्म के मामले में मुकदमा वापस लेने की अर्जी पर सुनवाई पूरी कर ली है. और आदेश सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की सिंगल बेंच ने अभियुक्त चिन्मयानंद और सरकारी वकील की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई पूरी होने का ऐलान किया. पक्षकार चाहें तो लिखित दलीलें अदालत को दे सकते हैं. यूपी सरकार ने पहले भी मुकदमा वापस लेने की अर्जी दाखिल की थी लेकिन निचली अदालत ने उसे खारिज कर दिया था.
पीड़ित युवती ने स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ शाहजहांपुर में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था, तब पुलिस ने जांच के बाद स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध आरोप पत्र भी दाखिल किया था. बाद में राज्य सरकार ने ठोस सबूत के अभाव और अन्य तकनीकी खामियों को आधार बनाकर अभियोजन वापसी की दरख्वास्त दी थी. सरकार की यह दरख्वास्त शाहजहांपुर की जिला अदालत ने खारिज कर दी थी.
हाईकोर्ट से स्वामी चिन्मयानंद को गिरफ्तारी पर रोक का आदेश हो गया. बाद में सरकार ने स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध इस आपराधिक मामले में अभियोजन वापसी की दरख्वास्त दी. ये अर्जी खारिज हो गई.
पीड़ित युवती के खिलाफ उसके ही पति की ओर से वकील संदीप शुक्ल अदालत में पेश हुए. शुक्ल ने अदालत में कहा कि पीड़िता ने इसी मुकदमे में स्वामी चिन्मयानंद के पक्ष में जवाबी हलफनामा दाखिल किया था. पीड़िता ने मुकदमे में अपने पति के खिलाफ भी कई आरोप लगाए थे. बहस के दौरान शुक्ल ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका में सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों के शीघ्र निपटारे का आदेश भी दिया है. उसमें साफ कहा गया है कि विभिन्न सरकारें राजनीतिक फायदे के लिए तमाम विधायकों और सांसदों के विरुद्ध बदले की राजनीतिक भावनाओं से दर्ज आपराधिक मामलों को CRPC की धारा 321 की शक्तियों का उपयोग करते हुए वापस ले रही है. इसलिए इस मुकदमे को भी इसी श्रेणी में मानते हुए कोर्ट इसे वापस लेने की इजाजत दे.
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