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आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए रंजन और सृष्टि, मौत की एक ही कहानी नजर आई

jantaserishta.com
9 Jun 2023 3:21 AM GMT
आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए रंजन और सृष्टि, मौत की एक ही कहानी नजर आई
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चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
भोपाल: मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में लगभग 300 फीट गहरे बोरवेल के गड्ढे में गिरी ढाई साल की बच्ची सृष्टि जिंदगी की जंग हार गई। लगभग 50 घंटे चले राहत और बचाव अभियान में रोबोटिक तकनीक की मदद से बच्ची को बाहर निकाल निकाला गया, बच्ची अचेत थी, अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
ज्ञात हो कि सीहोर जिले के मुंगावली गांव में राहुल कुशवाहा की ढाई साल की बच्ची सृष्टि मंगलवार की दोपहर को घर के पास ही खेत में खेल रही थी और वह बोरवेल के खुले पड़े गड्ढे में जा गिरी, बच्ची पहले 25 फुट की गहराई पर थी और उसके बाद से वह लगातार नीचे खिसकती गई, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के दल बचाव काम में लगे रहे। बुधवार को एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ सेना को राहत और बचाव कार्य में लगाया गया। बच्ची को हुक के जरिए बाहर निकालने की कोशिश हुई मगर नाकामी हाथ लगी। बच्ची उपर आने की बजाय हुक से गिरकर सौ फुट से ज्यादा नीचे जा पहुंची।
बच्ची को बाहर निकालने में जब सफलता नहीं मिली तो विशेषज्ञों के परामर्श के साथ रोबोट टीम के मदद के लिए बुलाया गया। रोबोटिक तकनीक के जरिए इस टीम के सदस्यों ने बच्ची का आंकलन किया। उसके बाद बच्ची के रोबोटिक तकनीक के जरिए बाहर निकाला गया। वह उस वक्त पूरी तरह अचेत थी। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित किया गया। जिलाधिकारी प्रवीण सिंह आठयच ने बच्ची की मौत की पुष्टि की है। वहीं पुलिस अधीक्षक के अनुसार जिसके खेत में बोरवेल का गड्ढा था उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। बच्ची के बोरवेल के गडढे में गिरने के बाद उसे सुरक्षित निकालने के लिए जहां पोकलेन और जेसीबी मशीनों की मदद ली गई, समानांतर गडढा खोदा गया, एक तरफ राहत और बचाव अभियान चलता रहा वहीं बच्ची लगातार नीचे की तरफ खिसकती गई। तो वहीं बच्ची की हरकत पर कैमरे से नजर रखी जा रही है। इसके साथ ही ऑक्सीजन की आपूर्ति का भी क्रम जारी रहा।
बच्ची को बचाने के इस अभियान में जहां सेना की मदद ली गई तो वहीं एक्सपर्ट व रोबोट को भी इस अभियान का हिस्सा बनाया गया। रोबोटिक तकनीक के जरिए बच्ची को स बाहर निकाला गया, मगर उसके शरीर में किसी तरह की हरकत नहीं थी। उसे तुरंत एम्बुलेंस के जरिए जिला अस्पताल ले जाया गया। बच्चे की दादी कलावती बाई ने बताया है कि मंगलवार की दोपहर को सृष्टि खेलने का कहकर गई थी घर के पास ही दूसरे का खेत है बोरवेल पर है तगारी रखी थी मेरी होती है उस में बैठी और अंदर गिर गई मैंने चिल्लाते हुए पकड़ने लगी लेकिन वह बोरवेल में गिर चुकी थी।
आखिरकार रंजन जिंदगी की जंग हार गया
बिहार में रोहतास के नासरीगंज इलाके में सोन नदी पर बने पुल के पिलर और दीवार के बीच फंसे 12 साल का रंजन आखिर गुरुवार की शाम जिंदगी की जंग लड़ते - लड़ते हार गया और उसकी मौत हो गई।
नासरीगंज के थाना प्रभारी सुधीर कुमार ने कहा कि करीब 26 घंटे एनडीआरएफ और एसडीआरएफ द्वारा चलाए गए रेस्क्यू के बाद फंसे रंजन कुमार को तो बाहर निकाल लिया गया, लेकिन हमलोग उसे बचा नहीं सके। उसकी मौत की खबर सुनते ही पूरे इलाके में मातम पसार गया। फंसे रंजन को जब निकाला गया तब ही उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी। एंबुलेंस के जरिए उसे इलाज के लिए तत्काल अस्पताल भेज दिया गया, लेकिन रंजन को बचाया नहीं जा सका।
नासरीगंज थाना क्षेत्र में नासरीगंज- दाऊदनगर सोन पुल के पिलर और दीवार के बीच रंजन फंस गया था। करीब दो फुट से भी कम चौड़े दरार में फंस जाने से किशोर का शरीर आंशिक रूप से दिखाई दे रहा था। खिरीआवं गांव निवासी शत्रुघ्न प्रसाद उर्फ भोला साह का 12 वर्षीय पुत्र रंजन अर्ध विक्षिप्त था तथा घर से तीन दिनों से लापता था।
बताया जाता है कि पिलर पर कबूतर अपना बसेरा बनाए हुए हैं, संभावना जताई जा रही है कि अर्ध विक्षिप्त रंजन कबूतर पकड़ने आया हो, और दरार में गिर गया हो। एक अधिकारी ने बताया कि दरार एक तरफ से खुली हुई है, जिससे सिलेंडर और पाइप के जरिए ऑक्सीजन पहुंचाया जा रहा था। गुरुवार को बांस के जरिए उसे खाना भी पहुंचाया गया था। बुधवार को इसके रोने की आवाज सुनकर गाय चरा रहे लोगों ने इसके फंसे होने की सूचना घर वालों की दी थी। इसके बाद से ही उसे बचाने के लिए ऑपरेशन शुरू किया गया। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और जिला प्रशासन ने रंजन को बचाने की भरपूर कोशिश की लेकिन वह जिंदगी की जंग हार गया।
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