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रामगढ़ उपचुनाव- कांग्रेस नहीं सीएम हेमंत की होगी असली परीक्षा
Shantanu Roy
6 Feb 2023 3:05 PM GMT

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रांची। झारखंड के रामगढ़ उपचुनाव के पार्टी प्रत्याशी नामांकन कर रहे हैं। एनडीए की ओर से सुनीता चौधरी और यूपीए की ओर से बजरंग कुमार महतो नामांकन कर चुके हैं। नामांकन करने की अंतिम तारीख 7 फरवरी है। कई अन्य पार्टी भी अपना प्रत्याशी मैदान में उतारने की तैयारी में हैं। इस विधानसभा सीट के लिए मतदान 27 फरवरी को होना है। रिजल्ट 2 मार्च को आएगा। मैदान में भले ही कई दलों के प्रत्याशी किस्मत आजमाएं, पर सीधा मुकाबला एनडीए और यूपीए प्रत्याशी के बीच ही होना है। यूपीए की ओर से कांग्रेस ने प्रत्याशी उतारा है। एनडीए की ओर से आजसू पार्टी उम्मीदवार मैदान में है। यह सीट कांग्रेस के तत्कालीन विधायक ममता देवी की विधायकी जाने से खाली हुई है। गोलीकांड मामले में कोर्ट ने उन्हें सजा सुनाई है। लोगों की सहानुभूति को भुनाने के लिए कांग्रेस ने पूर्व विधायक के पति को टिकट दिया है। कांग्रेस का यह दांव कितना असरदार होगा, यह तो परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा। आम तौर पर ऐसा माना जाता है कि इस तरह के की स्थिति में मुद्दों पर लोगों की सहानुभूति भारी पड़ती है।
जानकारों की मानें तो कि रामगढ़ उपचुनाव में प्रत्याशी भले ही कांग्रेस का हो, पर असली परीक्षा वहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की होगी। दरअसल, सरकार की उपलब्धियों का श्रेय झामुमो को ही मिल रहा है। सत्ता में भागीदारी होने के बाद भी इसका श्रेय कांग्रेस को नहीं मिल रहा है। यह बात खुद कांग्रेस के विधायक चिंतन शिविर में बता चुके हैं। वर्तमान में हालात हेमंत सरकार के खिलाफ दिख रहे हैं। सरकार की नियोजन नीति कोर्ट से खारिज हो चुकी है। सरकार के पास वक्त नहीं है। रोजगार की मांग को लेकर युवा सड़क पर हैं। उन्हें लग रहा है कि शेष बचे कार्यकाल में सरकार कुछ नहीं कर सकती है। शर्तों के साथ ओबीसी के आरक्षण की समीक्षा बढ़ाई गई है। 1932 के खतियान के आधार पर मंजूर स्थानीय नीति का विरोध सरकार के ही लोग कर रहे हैं। एसटी का दर्जा नहीं दिए जाने पर कुड़मी नाराज हैं।
रामगढ़ विधानसभा में कुड़मी वोटरों की संख्या अधिक है। ऐसे में नाराजगी के हिसाब से कुड़मी वोटरों के एनडीए की ओर जाने की उम्मीद जताई जा रही है। युवा पहले से ही वोटरों को हेमंत सरकार के खिलाफ लामबंद करने में लगे हैं। इसके लिए वे मुहिम चला रहे हैं। वायदा करके भी सीएम अब तक कॉन्ट्रेक्ट कर्मियों को नियमित नहीं की है। इसके खिलाफ व्यापक आक्रोश है। वैसे 9 फरवरी को कैबिनेट की होने वाली बैठक पर आस है। संभव है कि इसमें सरकार नई नियोजन नीति को मंजूरी मिले। कॉन्ट्रेक्ट कर्मियों को नियमित करने के प्रस्ताव की भी स्वीकृति मिले। इसके अलावा अन्य निर्णय लेकर भी सरकार खिलाफ में बह रही हवा को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर सकती है। हेमंत सरकार बनने के बाद राज्य में अब तक चार उपचुनाव हो चुके हैं। सभी उप चुनावों में यूपीए के प्रत्याशी को जीत मिली है। दरअसल, उस वक्त वर्तमान जैसे हालात पैदा नहीं हुए थे। वक्त अधिक रहने के कारण युवा और लोग सरकार से उम्मीद लगाए बैठे थे। इसके अलावा कई विधानसभा में सहानुभूति लहर रही। वर्तमान में हालात पूरी तरह बदल चुके हैं।
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Shantanu Roy
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