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रमनजोत कौर ने जीते 100 से ज्यादा मेडल, जानिए कैसे बनी पर्वतारोही और इनके बारे में सबकुछ

Shiddhant Shriwas
17 Oct 2021 10:32 AM GMT
रमनजोत कौर ने जीते 100 से ज्यादा मेडल, जानिए कैसे बनी पर्वतारोही और इनके बारे में सबकुछ
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भारत की बेटियों के सपनों को पंख दिया जाए तो वह केवल लंबी उड़ान नहीं भरती बल्कि आसमान छूने की क्षमता रखती हैं

भारत की बेटियों के सपनों को पंख दिया जाए तो वह केवल लंबी उड़ान नहीं भरती बल्कि आसमान छूने की क्षमता रखती हैं। देश की ऐसी ही एक बेटी है, जिसने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंच कर दिखाया। खास बात ये है कि इस बेटी ने केवल पहाड़ नहीं चढ़ा बल्कि वहां जाकर सूर्य नमस्कार किया। पूरा विश्व भारत को योग गुरु के तौर पर जानता है। भारत के प्रधानमंत्री ने योग को विदेशों तक पहुंचाया और अब देश की बेटी उसे यूरोप के पहाड़ों पर पहुंचा रही है। हम बात कर रहे हैं पर्वतारोही रमनजोत कौर का। चंडीगढ़ की रमनजोत कौर ने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रस पर चढ़ाई करके वहां तक योग किया। भारत की बेटी के लिए इस उपलब्धि तक पहुंचना आसान नहीं था। इस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए रमन जोत कौर को पहाड़ पर चढ़ने के साथ ही जीवन में भी कड़ा संघर्ष करना पड़ा। चलिए जानते हैं पर्वतारोही रमन जोत कौर के बारे में।

रमनजोत कौर का परिचय

रमनजोत कौर चंडीगढ़ की रहने वाली हैं। 25 साल की रमनजोत वर्तमान में पंजाब विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रही हैं। रमनजोत एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती हैं। पर्वतारोही रमनजोत कौर के पिता का नाम जोगिंदर सिंह है जो एक किसान है। वहीं उनकी मां जसबीर कौर गृहणी हैं। रमनजोत कौर की रुचि हमेशा से ही एथलेटिक्स, एडवेंचर स्पोर्ट्स, पर्वतारोहण में रही है।

रमनजोत कौर ने जीते 100 से ज्यादा मेडल

अपनी इसी रूचि को रमनजोत कौन से अपना सपना बना लिया। रमनजोत कौर एक मैराथन एथलीट हैं। अब तक 100 से ज्यादा मेडल अपने नाम कर चुकी हैं। तीन साल पहले रमनजोत कौर ने चंडीगढ़ स्टेट लेवल का गोल्ड मेडल जीता था। इतना ही नहीं साल 2021 में रमनजोत ने मार्शल आर्ट में भी स्कूल नेशनल गेम्स में ब्रांज मेडल जीता है।

रमनजोत कौर कैसे बनी पर्वतारोही?

दरअसल, साल 2016 में चंडीगढ़ टूरिज्म डिपार्टमेंट की तरफ से एक कैंप का आयोजन हुआ था, जिसमें रमनजोत ने हिस्सा लिया था। रमनजोत कौर का चयन पर्वतारोहण ट्रेनिंग कैंप के लिए हुआ, जिसके बाद उनका कैंप दार्जिलिंग में आय़ोजित किया गया। फिर रमनजोत कौर ने पर्वतों पर परचम लहराने की राह चुनी। इसके लिए उनकी मां जसबीर कौर ने अपने गहने तक बेच दिए ताकि उनकी बेटी पर्वतारोहण के लिए जा सके।

रमनजोत कौर की उपलब्धि

रमनजोत ने इसी महीने की शुरुआत में 2 अक्टूबर को यूरोप की सबसे ऊंची चोटियों में से एक एल्ब्रस पर फतह की थी। इसके पहले भी कई भारतीयों ने इस ऊंची चोटी पर चढ़ने का प्रयास किया है, लेकिन रमनजोत कौर ने यहां सूर्य नमस्कार करके अपनी उपलब्धि को खास बना दिया। इसके पहले उन्होंने दक्षिणी अफ्रीका की चोटी पर्वत किलिमंजारो पर भी चढ़ाई की थी। खास बात ये थी कि रमनजोत ने दौड़ते हुए सिर्फ 24 घंटे में इस चोटी पर फतह किया था। इसके अलावा रमनजोत पीकॉक चोटी और मचोई पीक पर भी फतेह कर चुकी हैं।

रमनजोत कौर का लक्ष्य

पर्वतारोही रमनजोत कौर का अगला लक्ष्य दक्षिणी अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी अकोंकागोआ को फतह करना है।

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