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पटना (आईएएनएस)| बिहार के बक्सर में पिछले सप्ताह पुलिस द्वारा आम लोगों पर रात के वक्त हमले के बाद भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत सोमवार को यहां के किसानों से मिलने वाले हैं। बीकेयू नेता ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, मैं अपने किसान भाइयों और बहनों के समर्थन में बक्सर जिले के चौसा जा रहा हूं। 11 जनवरी की रात स्थानीय पुलिस ने उन पर बेरहमी से हमला किया था। थर्मल पावर प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहित की है। किसान अपनी जमीन के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं और राज्य सरकार उन्हें पर्याप्त मुआवजा नहीं दे रही है।
चौसा के किसानों की जायज मांग है कि मौजूदा बाजार दर पर मुआवजा दिया जाए जबकि राज्य सरकार 2012-13 की दर से मुआवजा दे रही है। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया 2023 में हो रही है तो किसान 2012-13 की दर से मुआवजा क्यों लेंगे? किसानों को नई दर से मुआवजा दिया जाए।
यह केवल बिहार का नहीं बल्कि पूरे देश का मुद्दा है। विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र की मंशा स्पष्ट नहीं है। हमें अपने आंदोलन को तेज करना होगा। वे किसानों की जमीनों को हड़पना चाहते हैं। बक्सर में जो कुछ भी हुआ अपराध था।
रविवार को जमुई के सांसद और एलजेपीआर अध्यक्ष चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उनसे चौसा किसानों के मुद्दे पर हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।
चौसा प्रखंड के बनारपुर गांव की 250 एकड़ जमीन राज्य और केंद्र सरकार ने 11980 मेगावॉट थर्मल पावर, पानी की पाइपलाइन और रेलवे कॉरिडोर परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित की थी।
अधिग्रहण के कारण, गांव में 300 से अधिक परिवार प्रभावित हुए हैं।
कुछ दलित परिवारों के घर भी गिर गए हैं और वे अस्थायी झोपड़ियों में रह रहे हैं।
jantaserishta.com
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