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किसान नेता राकेश टिकैत और उनके समर्थक बुधवार को दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर से अपने घरों के लिए रवाना हो गए
किसान नेता राकेश टिकैत और उनके समर्थक बुधवार को दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर से अपने घरों के लिए रवाना हो गए. 383 दिनों दिल्ली का बॉर्डर ही उनका घर था. लंबे चले आंदोलन के बाद परिणामस्वरूप विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया. वहीं, किसान नेता राकेश टिकैत बुधवार को मेरठ पहुंचे तो बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों ने उनका स्वागत किया.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह किसी पार्टी में शामिल होंगे या चुनाव लड़ेंगे, टिकैत ने कहा, "मैं कोई चुनाव नहीं लड़ने जा रहा हूं और किसी भी राजनीतिक दल को अपने पोस्टरों में मेरे नाम या फोटो का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए."
हवन पूजन के बाद हुए रवाना
बॉर्डर छोड़ने से पहले सुबह हवन पूजन और प्रसाद में हलवा वितरण किया गया. इसके बाद भारत माता की जयकार व देशभक्ति के गीतों के बीच विजय यात्रा में शामिल किसान अपने गंतव्य को रवाना हुए. इस दौरान टिकैत ने कहा कि आंदोलन ने बहुत कुछ सिखाया है और इसकी खट्टी-कड़वी और मीठी यादें हमेशा साथ रहेंगी.
#WATCH | Farmers leader Rakesh Tikait was welcomed by farmers in Meerut upon his return from Delhi earlier today after the repeal of the three farm laws
— ANI UP (@ANINewsUP) December 15, 2021
He said, "I'm not going to contest any election & no political party should use my name or photo in their posters." pic.twitter.com/9alTyzx11n
गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर सिंघू, टिकरी और गाजीपुर में आंदोलन शुरू किया था और हाल ही में केंद्र सरकार ने इन कानूनों को रद्द कर दिया था जिसके बाद किसानों की घर वापसी हुई है.
टिकैत ने गाजीपुर से रवानगी के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर भी साझा किए. टिकैत ने ट्वीट किया "13 महीने सड़क पर संघर्ष, आज घर वापसी देश के नागरिकों का हार्दिक आभार."
सपा से मिला चुनाव लड़ने का न्योता
अखिलेश यादव ने 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए RLD के साथ गठबंधन कर चुके हैं. आरएलडी लगातार किसानों को साधने की कोशिश कर रही हैं. वहीं अब अखिलेश किसान नेता के रूप में राकेश टिकैत को समाजवादी पार्टी के साथ लाना चाहते हैं. अखिलेश यादव ने कहा है कि राकेश टिकैत अगर हमारे साथ चुनाव लड़ना चाहेंगे तो मैं उनका स्वागत करता हूं. वे किसानों के बड़े नेता हैं. उनका आंदोलन राजनीति से दूर रहा है. इसलिए यह उनका फैसला है. लेकिन अगर वह राजनीति में आने चाहें तो सपा में उनका स्वागत है.
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