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किसान आंदोलन के नेता राकेश टिकैत बोले- शाहीन बाग नहीं है आंदोलन खत्म नहीं होगा

Apurva Srivastav
17 April 2021 6:31 PM GMT
किसान आंदोलन के नेता राकेश टिकैत बोले- शाहीन बाग नहीं है आंदोलन खत्म नहीं होगा
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कोरोना संकट के बीच मोदी सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन अब भी जारी है।

कोरोना संकट के बीच मोदी सरकार के तीन कृषि क़ानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन अब भी जारी है। आंदोलन को लेकर भारतीय किसान यूनियन (BKU)ने साफ कर दिया है कि किसान अपनी मांग पूरी हुए बगैर किसी कीमत पर दिल्ली कि सीमाओं से नहीं हटेंगे।

रिपब्लिक टीवी से बात करते हुए टिकैत ने कहा "आंदोलन अगर खत्म हो जाये तो क्या देश से कोरोना खत्म हो जाएगा? वे हमारे गांव है, जहां पांच-पांच महीन से हम वहां रह रहे हैं। जैसे पूरा देश रहेगा उन्हीं गाइडलाइंस से हम रह लेंगे। आंदोलन का इससे क्या लेना देना है। मनोहर लाल खट्टर किसी किसान संगठन या सयुक्त मोर्चा का सदस्य है वो? कोरोना नियमों का पालन करते हुए आंदोलन को जारी रखा जाएगा ये कोई शाहीन बाग नहीं है कि कोरोना के नाम पर खत्म कर देंगे। जब तक एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा और हमारी मांगे पूरी नहीं होगी आंदोलन खत्म नहीं होगा।"
इसपर पत्रकार ने कहा "लेकिन खट्टर कह रहे हैं कि आंदोलन खत्म कर दो।" इसपर किसान नेता ने कहा "अच्छा उसके कहने से खत्म हो जाएगा। वो किसी एडवाइजरी कमेटी का मेम्बर है क्या जो वो कहेगा और आंदोलन खत्म हो जाएगा।" किसान नेता ने कहा कि हमें सरकार नहीं मिली जब मिलेगी तो उससे बात कर लेंगे।
बता दें हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किसानों से कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर 'मानवता के आधार' पर आंदोलन वापस लेने की अपील की थी। मुख्यमंत्री ने कहा, 'किसानों को अपना आंदोलन मानवता के आधार पर वापस ले लेना चाहिए।' उन्होंने कहा कि स्थिति में सुधार होने के बाद वे अपना प्रदर्शन जारी रख सकते हैं। मुख्यमंत्री ने जिला उपायुक्तों को भी निर्देश दिया कि वे प्रदर्शनकारी किसानों से संपर्क करें और उन्हें इसके लिए मनाया जाए।
वहीं हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। चौटाला ने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी में आंदोलनकारी किसानों से दोबारा बातचीत शुरू करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि इसके लिए 3-4 वरिष्ठ मंत्रियों की समिति बनाई जाए जो किसान नेताओं से दोबारा बातचीत शुरू करे। दुष्यंत का मानना है कि किसान आंदोलन का लंबा चलना चिंता का विषय है। दिल्ली सीमा पर बैठा किसान हमारा अन्नदाता है। बातचीत से हर समस्या का हल संभव है। किसानों की मांगों का सौहार्दपूर्ण समाधान होना चाहिए।


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