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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को अपने करीबी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को लेकर पहली बार बयान दिया. नीतीश ने कहा कि हमने उन्हें बहुत अधिकार दिए थे, लेकिन उन्होंने गड़बड़ किया. नीतीश ने कहा कि आरसीपी खुद केंद्रीय मंत्री बन गए थे. इसको लेकर बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि आरसीपी को केंद्र में मंत्री बनाने के लिए अमित शाह ने खुद नीतीश कुमार से बात की थी.
सुशील मोदी ने कहा कि अगर आरसीपी सिंह को उनकी सहमति से नहीं बनाया गया था तो फिर उन्होंने आरसीपी सिंह पर कार्रवाई के लिये 11 महीने का इंतजार क्यों किया. शरद यादव जब महागठबंधन के करीब गए थे तब उन्होंने तुरंत कार्रवाई कर दी थी, इसमें इंतजार क्यों किया. शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि आरसीपी सिंह खुद केंद्र में मंत्री बन गए. उन्होंने 4 मंत्री पद की मांग की थी, लेकिन वो खुद बन गए और कहने लगे कि मेरे कहने पर बने थे.
सुशील मोदी ने जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पर भी जमकर निशाना साधा और कहा कि उन्हें क्या पता है. जेडीयू के कई नेता थे जो बीजेपी के नेताओं से मिलकर नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाना चाहते थे. ताकि उनका बिहार से सम्मानजनक एग्जिट हो सके, लेकिन बीजेपी ने इनकार कर दिया. जब बीजेपी के पास बहुमत है तो भला इनको उपराष्ट्रपति क्यों बनाती.
बीजेपी सांसद ने कहा कि केवल प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देखने के लिए उन्होंने पाला बदली है, लेकिन ये ख्वाब ही रहेगा. इनसे ज्यादा सीट तो बंगाल में ममता बनर्जी को मिली हैं. अरविंद केजरीवाल की सरकार 2-2 राज्य में है. केसीआर भी हैं. सभी मुख्यमंत्री चाहते हैं कि वो प्रधानमंत्री बनें. उन्होंने ये भी कहा 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद ये सरकार गिर जाएगी. जैसे 2019 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी थी वैसे ही 2024 में नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मिलेगा क्योंकि नीतीश कुमार का अति पिछड़ा वोट उनके हाथ से निकल चुका है.
बता दें कि आरपीसी सिंह ने हाल ही में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया है. पार्टी ने उन्हें तीसरी बार राज्यसभा भेजने से मना कर दिया था, जिसकी वजह से उन्हें मोदी सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. पार्टी के भीतर काफी समय से उपेक्षित हो रहे आरसीपी सिंह के सियासी भविष्य को लेकर सवाल पहले ही खड़े हो रहे थे, लेकिन वो अगला कदम क्या लेंगे, सबकी नजर इसी पर थी. अपने इस्तीफे उन्होंने कहा था- इस पार्टी में कुछ नहीं बचा है. वो डूबता हुआ जहाज है. हमसे चिढ़ है, तो हमसे निपटो, हमारे पास विकल्प खुले हुए हैं.
जेडीयू ने आरसीपी सिंह को कमजोर करते हुए उनसे सभी अहम पद छीन लिए और उनके करीबी नेताओं पर पूरी तरह नकेल कस दी. वहीं, जेडीयू से निकालने के लिए भी सीधा कोई आदेश नहीं जारी किया बल्कि उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर नोटिस जारी कर दिया. इस तरह जेडीयू का सीधा मकसद आरसीपी सिंह की छवि को पूरी तरह धूमिल और विधायकों से उनके संपर्क को खत्म करने की रणनीति अपनाई.
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