रामसर के नक्शे पर राजस्थान की होगी अनूठी पहचानः सदस्य सचिव, राजस्थान राज्य आद्रभूमि प्राधिकरण
जयपुर । राजस्थान राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग और राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के तत्वाधान में राज्य में अंतर्राष्ट्रीय महत्व के रामसर स्थलों की संख्या बढ़ाने हेतु प्रस्तावित वेटलैंड्स पर सोमवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस दौरान राज्य में वेटलैंड्स की वर्तमान स्थिति एवं संभावित वेटलैंड साइट्स पर विस्तार से चर्चा की गयी। सदस्य सचिव श्रीमती मोनाली सेन ने राज्य में पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन में वेटलैंड्स की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वेटलैंड, बाढ़ या मिट्टी की संतृप्ति की विशेषता वाला जटिल पारिस्थितिकी तंत्र है,आर्द्रभूमियों को आमतौर पर मिट्टी और पौधों के जीवन के अनुसार दलदल, और अन्य समान वातावरण के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। राज्य में सांभर एवं केवलादेव ऐसी आर्द्रभूमि है जो की देशी विदेशी पक्षियों एवं अन्य वन्य जीवों के आकर्षण का केंद्र है। जिनकी वजह से राज्य को पर्यटन एवं रामसर साइट्स के नक्शे पर विशेष पहचान हासिल हुई है। उन्होंने कहा कि इसी क्रम में खींचन (जोधपुर) कानवास पक्षी विहार (कोटा), लूणकरणसर (बीकानेर) के प्रस्ताव तैयार किए गए। सदस्य सचिव ने बताया की इन प्रस्तावों का राज्य सरकार द्वारा परीक्षण कर वन,पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के माध्यम से रामसर सचिवालय में भेजा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि इस से पूर्व मेनार तालाब उदयपुर का प्रस्ताव तैयार कर वन पर्यावरण जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार को भेजा जा चुका है। इस दौरान सदस्य सचिव राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल श्री एन. विजय सहित उपवन संरक्षक कोटा, उप वन संरक्षक बीकानेर, उपवन संरक्षक भरतपुर (वन्य जीव), सहित राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सम्बंधित क्षेत्रीय अधिकारी मौजूद रहे।