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कोलकाता (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल में राज भवन और राज्य सचिवालय का झगड़ा संभवत: कानूनी पचड़े की ओर बढ़ रहा है क्योंकि छह राजकीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को राज्यपाल कार्यालय द्वारा हाल ही में जारी किए गए कारण बताओ नोटिस का तोड़ खोजने के लिए राज्य शिक्षा विभाग कानूनी सलाह ले रहा है। राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु के अनुसार, हालांकि सरकार राज्यपाल के साथ बातचीत करना चाहती है, लेकिन राज्यपाल अपनी मर्जी से फैसले लेने के इच्छुक लग रहे हैं। उन्होंने कहा, कुलपतियों को कारण बताओ नोटिस के संबंध में, हमें यह देखना होगा कि क्या उनके पास इस तरह के नोटिस जारी करने का अधिकार है। हम पहले यह जानने के लिए कानूनी जानकारों से परामर्श कर रहे हैं कि इस तरह के नोटिस वैध हैं या अवैध।
राजभवन ने 24 मई को छह राजकीय विश्वविद्यालयों - काजी नजरूल विश्वविद्यालय, सिधो-कान्हो-बिरसा विश्वविद्यालय, बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल राज्य विश्वविद्यालय, कल्याणी विश्वविद्यालय और बर्दवान विश्वविद्यालय - के कुलपतियों को एक नोटिस जारी किया था। इसमें कहा गया था कि विश्वविद्यालय मामलों पर साप्ताहिक रिपोर्ट राजभवन को सौंपने के राज्यपाल के निर्देश की 'अनदेखी' कर रहे हैं।
इससे पहले 4 अप्रैल को राजभवन ने सभी राजकीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को राजभवन को एक साप्ताहिक रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया था, जिसमें कुलपतियों को वित्त संबंधी सभी मामलों में राजभवन से पूर्व सहमति लेने के लिए भी कहा गया था।
हालांकि, किसी भी विश्वविद्यालय द्वारा साप्ताहिक रिपोर्ट नहीं भेजे जाने के बाद राज्यपाल के विशेष सचिव के कार्यालय ने 22 मई को वी-सीएस को एक रिमाइंडर भेजा था।
कोई जवाब नहीं मिलने के बाद अब राजभवन ने इन छह विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
राज्यपाल सभी राजकीय विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होते हैं। राज्य सरकार शुरू से ही साप्ताहिक रिपोर्ट मांगने के राज्यपाल के फैसले का विरोध कर रही थी। अब जब राज्य सरकार कारण बताओ नोटिस के खिलाफ कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है, जिससे लगता है कि राजभवन-राज्य सचिवालय के संबंध और भी खराब हो गए हैं।
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