x
नईदिल्ली | रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए लगाई गई सेंसर मशीन में खामियां मिली हैं. इस मशीन को रेलवे ने अपनी डिजाइन और मानक इकाई आरडीएसओ (अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन) द्वारा अनुमोदित विशिष्टताओं के अनुसार चालू किया था और बाद में अधिकारियों ने इसकी जांच की तो पता चला कि इस मशीन में खामियां हैं. कहा गया है कि यदि इन्हें वापस नहीं लिया गया तो बालासोर जैसी दुर्घटना हो सकती है. रेलवे अपने सात क्षेत्रों में मशीन की तीन हजार यूनिट लगा चुका है.
अधिकारियों ने कहा कि रेलवे द्वारा 5 लाख रुपये प्रति यूनिट की लागत से "खामियों वाली" एमएसडीएसी प्रणाली की लगभग 4,000 यूनिट्स खरीदी गई हैं और उनका आवश्यक परीक्षण किया जा रहा है. एमएसडीएसी (मल्टी सेक्शन एक्सल काउंटर) एक ऐसी प्रणाली है जिसका उपयोग रेलवे सिग्नलिंग में दो प्वॉइंट्स के बीच ट्रैक के एक सेक्शन की स्पष्ट स्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है.
इंजीनियरों ने दी चेतावनी
सिस्टम में आम तौर पर एक व्हील सेंसर (सेक्शन के प्रत्येक छोर पर एक) होता है. सेक्शन के अंदर और बाहर ट्रेन के एक्सल की गिनती के लिए एक मूल्यांकन यूनिट होती है. यह मूल रूप से स्टेशन मास्टर को बताता है कि ट्रैक ट्रेन की आवाजाही के लिए खाली है या उसमें ट्रेन आ रही है. पिछले एक वर्ष में आरडीएसओ के इंजीनियरों द्वारा इस सिस्टम को लेकर कई बार चेतावनी दी गई और सिस्टम के निरीक्षण के बाद कम से कम चार गैर-अनुरूपता की रिपोर्ट्स केंद्रीय कार्यालय को सौंपी.
अब तक, परीक्षण चरण के तहत पूर्वी रेलवे, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, दक्षिण पूर्व रेलवे, उत्तर रेलवे, मध्य रेलवे, उत्तर पश्चिम रेलवे और उत्तर मध्य रेलवे में इस तरह की 3,000 संभावित खामियों वाली यूनिट्स पहले ही लगाई जा चुकी हैं. एक निजी एजेंसी द्वारा आपूर्ति की गई एमएसडीएसी प्रणाली के बारे में आरडीएसओ महानिदेशक (डीजी) को भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं मिला है. पूर्वी रेलवे के मुख्य सिग्नल इंजीनियर द्वारा आरडीएसओ के कार्यकारी निदेशक को भेजी गई एक रिपोर्ट के अनुसार, नैहाटी स्टेशन पर स्थापित एमएसडीएसी सिस्टम खामियों से भरा पाया गया था.
बिना वजह भी भेज रहा है सिग्नल
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस मशीन से ट्रेन की आवाजाही का पता लगाने की उम्मीद की जाती है, वह "बार-बार" ऐसा करने में विफल रही है. इसमें आगे कहा गया है कि मशीन में लगा सेंसर कभी-कभी मूवमेंट का पता लगाता है और कभी-कभी नहीं भी लगाता है. इसे "अप्रत्याशित" करार दिया गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सिस्टम इतना ख़राब है कि अगर यह किसी धातु के संपर्क में आ गया तो सिग्नल भेज देता है, जरूरी नहीं है कि तब उस पर ट्रेन के पहिए हों.
रिपोर्ट में कहा गया है, 'कभी-कभी सेंसर ट्रॉली की मूवमेंट का पता लगाते हैं और कभी-कभी नहीं (अप्रत्याशित) भी लगाते हैं. यह भी देखा गया है कि कभी-कभी ट्रॉली के दो पहिये गुजरते हैं लेकिन सिस्टम केवल एक का ही पता लगाता है. अत्यधिक संवेदनशील सेंसर के कारण, कोई भी धातु अगर सेंसर के ऊपर से गुजर जाती है या गिर जाती है (जैसे कि हथौड़ा, इंजीनियर का सब्बल, मोबाइल फोन आदि) तो सिस्टम डिस्टर्ब मोड में चला जाता है और कभी-कभी इसे प्रॉपर व्हील काउंटिंग के रूप में दर्ज कर लेता है जो असुरक्षित है. रिपोर्ट में कहा गया है, बिजली गिरने के कारण कभी-कभी सिस्टम फेल हो जाता है.'
बालासोर जैसी दुर्घटना का खतरा
आरडीएसओ की पूर्वी इकाई के इंजीनियरों ने भी संगठन को लिखे पत्रों में इन मुद्दों पर चिंता जताई है. अपने पत्र में, इंजीनियरों ने कहा है कि एमएसडीएसी सिस्टम का एक्सल काउंटर स्टेशन कर्मचारियों द्वारा रीसेट किए बिना अपने आप रीसेट हो रहा था, जिसके परिणामस्वरूप ट्रैक सेक्शन की रिपोर्ट क्लियर आ सकती है, भले ही उस पर कोई अन्य ट्रेन हो. अधिकारियों ने कहा कि इससे बालासोर जैसी घटना हो सकती है. इंजीनियरों ने अपनी शिकायत में लिखा, 'इस तरह की खराबी से गलत सूचना फैल जाएगी जो स्टेशन मास्टर को गलत ऑपरेशन करने के लिए गुमराह कर सकती है, जिससे बालासोर जैसी घटना हो सकती है, जिससे मानव जीवन की हानि हो सकती है.'
Tagsरेलवे ट्रैक की सेंसर मशीनें ट्रेन गुजरने से पहले दे रही सिग्नलहादसे का खतराRailway track's sensor machines are giving signals before passing the traindanger of accidentजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिसिलाआज का ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारJANTA SE RISHTA NEWSJANTA SE RISHTATODAY'S LATEST NEWSHINDI NEWSINDIA NEWSKHABARON KA SISILATODAY'S BREAKING NEWSTODAY'S BIG NEWSMID DAY NEWSPAPER
Harrison
Next Story