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रेलवे इंजीनियर ने रेल इंजन को बेच डाला, मामले की जांच में जुटी RPF टीम
jantaserishta.com
21 Dec 2021 5:18 PM GMT
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पूर्णिया: बिहार में एक हैरान कर देने वाला वाकया है. यह वारदात किसी फिल्मी सीन जैसा है. अभी तक फिल्मी स्टोरीज में कभी ताज महल तो कभी एफिल टॉवर तो कभी मंगल ग्रह पर प्लाट बेंचने के सीन दिखाई देते थे, लेकिन इस असली कहानी में एक रेलवे के इंजीनियर ने तो सच में रेलवे का इंजन ही बेच डाला. यह हैरान कर देने वाला वाकया पूर्णिया कोर्ट स्टेशन का है, जहां खड़े रेलवे के एक पुराने भाप चलित पूरे इंजन को रेलवे के ही एक इंजीनियर ने बेच दिया.
जानकारी के मुताबिक, बीते 14 दिसंबर 2021 को पूर्णिया कोर्ट रेलवे स्टेशन के पास पुराने भाप चलित इंजन को गैस कटर से कटवाते हुए इंजीनियर राजीव रंजन झा और सहायक मिले. रिपोर्ट के मुताबिक, जब ड्यूटी पर तैनात एक महिला कॉन्स्टेबल संगीता कुमार को इस गड़बड़ी की सूचना मिली तो उसने आरपीएफ के इंस्पेक्टर को इस संबंध में जानकारी दी. इस सूचना के अधार पर आरपीएफ इंस्पेक्टर एमएम रहमान जब वहां पहुंचे तो देखा कि इंजीनियर राजीव रंजन इंजन को कटवा रहे हैं, आरपीएफ के इंस्पेक्टर ने जब उनसे पूछा तो इंजीनियर ने डीएमई कार्यालय का फर्जी पत्र दिखाकर बता दिया की इसे स्क्रैप के तौर पर बेच दिया गया है, लेकिन जब उन्होंने आवक-रजिस्टर पर एक पिक वाहन की एंट्री देखी तो उनका शक और बढ़ गया. इसके बाद उन्होंने इसकी और जानकारी जुटाई तो मामला सामने आया गया. उन्होंने जब इस वाकये की जानकारी मंडल कार्यालय को तो बीते रविवार को एफआईआर दर्ज कराई गई.
इस हैरतअंगेज वाकये में दरअसल, रेलवे मंडल के पूर्णिया कोर्ट स्टेशन के पास कई सालों से छोटी लाइन पर भाप से चलने वाला इंजन खड़ा हुआ था. एफआईआर के मुताबिक, समस्तीपुर लोको डीजल शेड के इंजीनियर राजीव रंजन ने डीएमई कार्यालय का फर्जी पत्र दिखाकर रेलवे इंजन को स्क्रैप माफिया को बेच दिया. इस वारदात को अंजाम देकर अपनी करतूत छिपाने के लिए डीजल शेड की चौकी पर तैनात एक इंस्पेक्टर से मिलकर आवक रजिस्टर पर एक वाहन से स्क्रैप की एंट्री दी.
इस घटना पर समस्तीपुर रेल डिवीजन के डीआरएम ने कहा, वाकया सामने आने के बाद जांच के आदेश के बाद संबंधित दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया है. रेलवे का स्क्रैप एक जगह से दूसरी जगह ले जाना एक नियमित रूप से चलता रहता है, लेकिन जब पूर्णिया रेलवे स्टेशन से रेल इंजन का कबाड़ निर्धारित जगह नहीं पहुंचा तो संदेह ठोस हो गया. रेलवे के ऐसे अफसरों को छोड़ा नहीं जाएगा.
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