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आंदोलनकारी छात्रों के आगे झुकी रेलवे! जानें मोदी सरकार में कब-कब हुए बड़े छात्र आंदोलन?

jantaserishta.com
27 Jan 2022 8:18 AM GMT
आंदोलनकारी छात्रों के आगे झुकी रेलवे! जानें मोदी सरकार में कब-कब हुए बड़े छात्र आंदोलन?
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नई दिल्ली: आरआरबी एनटीपीसी रिजल्ट में धांधली का आरोप लगाते हुए यूपी-बिहार में छात्रों का आंदोलन जारी है. छात्रों का ये आंदोलन उग्र होता जा रहा है. गुस्साए अभ्यर्थियों ने ट्रेन को आग के हवाले तक कर दिया तो कई जगह रेलवे ट्रैक उखाड़ दिए. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने छात्रों से आंदोलन न करने की अपील की है.

छात्रों का आरोप है कि एनटीपीसी परीक्षा के रिजल्ट में धांधली की गई है. इस परीक्षा का रिजल्ट 14 जनवरी को जारी किया गया था. परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों का कहना है कि आरआरबी ने जो क्वालिफाई लिस्ट जारी की है, उसमें वो छात्र भी हैं जिन्होंने ग्रेजुएट और इंटरमीडिएट दोनों के लिए एग्जाम दिए थे. उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह से तो 12वीं पास छात्रों को कभी नौकरी ही नहीं मिलेगी.
यूपी-पंजाब समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हुए इस आंदोलन ने मोदी सरकार का सिरदर्द बढ़ा दिया है. हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब मोदी सरकार में छात्रों का आंदोलन हो रहा है. इससे पहले भी मोदी सरकार में कई बड़े छात्र आंदोलन हो चुके हैं.
नीट पीजी काउंसलिंग में देरी होने पर देशभर के रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल की. इससे देशभर में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुईं. फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) के नेतृत्व में ये हड़ताल हुई थी. इसी दौरान डॉक्टरों और दिल्ली पुलिस के बीच झड़प भी हुई. इसके बाद आंदोलन और तेज हो गया. हालांकि, बाद में 31 दिसंबर को FORDA ने हड़ताल वापस लेने का ऐलान किया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 12 जनवरी से नीट पीजी की काउंसलिंग शुरू हो गई.
सीबीएसई ने 16 दिसंबर केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) का आयोजन किया. इसका पहला पेपर तो अच्छे से हो गया, लेकिन दूसरा पेपर सर्वर ठप होने के कारण स्थगित कर दिया. 17 दिसंबर को भी दोनों शिफ्ट का पेपर स्थगित हो गया. इससे नाराज होकर छात्रों ने देशभर में प्रदर्शन कर दिया. जगह-जगह चक्काजाम किया और धरने पर बैठ गए.
पिछले साल 21 अगस्त को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का निधन हो गया. उनके निधन पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वीसी प्रोफेसर तारिक मंसूर ने दुख जताया. इस पर छात्रों ने उनके खिलाफ आंदोलन कर दिया. जगह-जगह पोस्टर लगा दिए गए, जिसमें लिखा कि इतिहास वीसी को कभी माफ नहीं करेगा. हालांकि, कुछ दिन बाद मामला शांत हो गया.
संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हुए. जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी, जेएनयू समेत देश के कई संस्थानों में छात्रों ने आंदोलन किए. जामिया में ये आंदोलन हिंसक हो गया था. पुलिस को आंदोलन शांत कराने के लिए छात्रों पर लाठीचार्ज करना पड़ा था. उस दौरान कई छात्रों को हिरासत में भी लिया गया था.
दिल्ली की प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में हॉस्टल की फीस बढ़ा दी गई थी. इसके खिलाफ छात्रों ने आंदोलन शुरू कर दिया. फीस बढ़ोतरी के खिलाफ आंदोलन में सिर्फ लेफ्ट समर्थक छात्र संगठन ही नहीं, बल्कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी हिस्सा लिया. छात्र उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मिलने निकले, लेकिन पुलिस ने रास्ते में ही उन्हें खदेड़ दिया. छात्रों के आंदोलन के आगे सरकार को झुकना पड़ा और फीस बढ़ोतरी का फैसला वापस लिया गया.
कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की ओर से फरवरी 2018 में कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल (CGL) की टियर -2 परीक्षा का आयोजन कराया गया. इसमें करीब 2 लाख छात्र बैठे. लेकिन बाद में छात्रों ने पेपर लीक का आरोप लगाया. हजारों की संख्या में छात्र दिल्ली पहुंचे और एसएससी दफ्तर के बाहर धरने पर बैठ गए. कई दिनों तक छात्रों ने धरना दिया. बाद में सरकार ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए.
फरवरी 2016 में जेएनयू में छात्रों ने आतंकी अफजल गुरु की बरसी मनाई. इस दौरान कथित तौर पर कन्हैया कुमार ने देश विरोधी नारे लगाए. उस वक्त कन्हैया जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष थे. पुलिस ने कन्हैया समेत कई छात्रों को गिरफ्तार कर लिया. जेएनयू प्रशासन ने भी कन्हैया समेत कई छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की. कुछ छात्रों पर जुर्माना लगाया गया तो कइयों को हॉस्टल से निकाल दिया गया. इसके खिलाफ कन्हैया समेत कई छात्र भूख हड़ताल पर बैठ गए. बाद में 7 मई 2016 को डॉक्टर की सलाह पर कन्हैया ने भूख हड़ताल खत्म की.
17 जनवरी 2016 को हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पीएचडी छात्र रोहित वेमुला ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. आत्महत्या से पहले रोहित वेमुला ने एक चिट्ठी भी लिखी. इसमें उन्होंने फेलोशिप में देरी होने की बात कही. इसके बाद उनकी आत्महत्या का कारण भी इसे ही माना गया. देखते ही देखते देशभर में इस आत्महत्या पर आंदोलन शुरू हो गया. बाद में सरकार ने फरवरी 2016 में इस मामले की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया.
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