धारावी पुनर्विकास परियोजना के खिलाफ राहुल का गुस्सा पार्टी के मुंबईकर विरोधी रुख को दोहराया
मुंबई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने धारावी पुनर्विकास परियोजना के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर कर बेहतर भविष्य की उम्मीद में रहने वाले लाखों धारावीकरों के जीवन में सुधार के प्रति अपना कड़ा विरोध दोहराया है, जबकि धारावीकरों का सपना अपनी जीवंत और अनूठी उद्यमशीलता संस्कृति को बरकरार रखते हुए मुंबई को वाणिज्यिक और औद्योगिक परिसरों के साथ विश्व स्तर पर जुड़े शहर में बदलना भी है। राहुल का बयान ऐसे समय में आया है, जब महाराष्ट्र सरकार का मानना है कि धारावी पुनर्विकास और कुछ अन्य परियोजनाएं मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र (एमएमआर) को 2030 तक 300 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में मदद करेंगी, जिससे राज्य को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का अपना महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।
धारावी पुनर्विकास परियोजना से यह जगह ऐसी बन जाएगी जो बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स से कहीं ज्यादा बड़ी होगी। इस परियोजना से नौकरियां पैदा करके रियल्टी, एमएसएमई और सेवा क्षेत्र के विकास को और बढ़ावा देने का मार्ग प्रशस्त होगा। धारावी पुनर्विकास की शुरुआत एमएमआर में 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक के समुद्री लिंक और मेट्रो रेल नेटवर्क सहित चल रही परिवहन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के साथ मेल खाती है, जिन्हें फास्ट-ट्रैक मोड पर रखा गया है।
एक अभियान चलाकर कि धारावी के सभी मकानों को बदल दिया जाएगा, राहुल गांधी और कांग्रेस चल रहे चुनावी बुखार के बीच कुछ लाभ हासिल करने पर तुले हुए हैं।हालांकि, वास्तविकता यह है कि यह परियोजना सभी पात्र निवासियों को न्यूनतम 350 वर्ग फुट के घरों की गारंटी देती है, क्योंकि धारावी पुनर्विकास परियोजना प्राइवेट लिमिटेड (डीआरपीपीएल) आवास के एक नए मानक स्थापित करने की योजना बना रही है।
इसके अलावा, जो मकान पात्र नहीं होंगे, उन्हें धारावीकरों की भलाई को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र सरकार की किराये की आवास योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना के अनुसार आवास प्रदान किया जाएगा।
पात्र आवासीय किरायेदारों को मुंबई में अन्य स्लम पुनर्वास परियोजनाओं की तुलना में 17 फीसदी से ज्यादा रकवे की रिहाइश मिलेगी। धारावी को एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के रूप में जाना जाता है, जिसे गरीबी, कम नागरिक सुविधाओं और निवासियों के निम्न जीवन स्तर के कारण विश्व स्तर पर पर्यटन के लिए अनुकूल नही माना जाता। इस पुनर्विकास परियोजना का उद्देश्य मानव-जीवन के साथ लोगों की जीवन स्थितियों में सुधार करना है। राहुल गांधी का यह दावा कि धारावी के निवासियों को इस जगह को छोड़ने के लिए पुलिस द्वारा मजबूर किया जाएगा, गलत है क्योंकि राज्य सरकार और डीआरपीपीएल ने बार-बार ऐसे किसी भी कदम से इनकार किया है।
इसके बजाय, यह परियोजना और भी महत्व रखती है, क्योंकि पहले के कई प्रयास परिणाम देने में विफल रहे थे। राज्य सरकार और डीआरपीपीएल ने घोषणा की है कि धारावीकरों को उनके नए घरों के अलावा पर्याप्त स्वच्छता, शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण, स्वास्थ्य देखभाल, रोजगार के अवसर, आवश्यक सुविधाएं और सम्मान का जीवन मिलेगा। साथ ही, राहुल गांधी का यह आरोप कि पुनर्विकास के कारण छोटे और मध्यम उद्यमों को नुकसान होगा, भ्रामक है। सभी पात्र और वाणिज्यिक इकाइयों को अपने व्यवसाय को बढ़ावा देने और औपचारिक रूप देने में मदद करने के लिए राज्य माल और सेवा कर (एसजीएसटी) भुगतान में पांच साल की छूट का आनंद मिलेगा। धारावी में पोशाकों और चमड़े की वस्तुओं का निर्माण करने वाली हजारों औद्योगिक और वाणिज्यिक इकाइयां हैं। कई लोग दुनियाभर में बेचे जाने वाले बड़े राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडों के विक्रेता हैं, जिनका टर्नओवर लाखों डॉलर में होने का अनुमान है। वे लंबे समय से स्थानीय और वैश्विक स्तर पर विस्तार करने और बढ़ावा पाने के लिए अपने व्यवसायों को औपचारिक रूप देने का इंतजार कर रहे हैं। इससे धारावी के लिए 'मेक इन इंडिया' पहल के लिए एक रोल मॉडल बनने का मार्ग प्रशस्त होगा। कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की है कि सरकार धारावी के पुनर्विकास के दौरान सभी पात्र लोगों को घर उपलब्ध कराएगी।