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राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना, कहा- 'अपनों को खोने वालों के आंसुओं में सब रिकॉर्ड है..!

Deepa Sahu
21 July 2021 11:33 AM GMT
राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना, कहा- अपनों को खोने वालों के आंसुओं में सब रिकॉर्ड है..!
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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ने के उस बयान पर निशाना साधा है,

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के उस बयान पर निशाना साधा है, जिसमें कहा गया है कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान जान गंवाने वालों किसानों का कोई रिकॉर्ड नहीं है. लोकसभा में मंगलवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से सवाल पूछा गया था कि क्या सरकार का आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने का विचार है? इसके जवाब में नरेंद्र तोमर ने बताया कि भारत सरकार के पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है.

राहुल गांधी ने इसी से जुड़ी एक खबर को शेयर करते हुए ट्वीट किया, "अपनों को खोने वालों के आंसुओं में सब रिकॉर्ड है. #FarmersProtest" केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसान पिछले साल 26 नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं. इनमें मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान हैं.
कृषि मंत्री ने अपने जवाब में यह भी कहा, "भारत सरकार ने किसान संगठनों के साथ चर्चा के दौरान उनसे अपील की कि बच्चों और बुजुर्गों विशेषकर महिलाओं को ठंड और कोविड स्थिति को देखते हुए घर जाने की अनुमति दी जाए. सरकार किसान संगठनों के साथ चर्चा के लिए हमेशा तैयार है."
कल से दिल्ली में 'किसान संसद' का करेंगे आयोजन
किसान संगठनों ने इससे पहले मंगलवार को कहा था कि संसद के मौजूदा मॉनसून सत्र के दौरान जंतर-मंतर पर एक 'किसान संसद' का आयोजन करेंगे और 22 जुलाई से हर दिन सिंघू बॉर्डर से 200 प्रदर्शनकारी वहां पहुंचेंगे. नेताओं ने कहा, ''हम 22 जुलाई से मॉनसून सत्र समाप्त होने तक 'किसान संसद' आयोजित करेंगे. हर दिन एक स्पीकर और एक डिप्टी स्पीकर चुना जाएगा. पहले दो दिनों के दौरान एपीएमसी अधिनियम पर चर्चा होगी. बाद में में अन्य विधेयकों पर हर दो दिन चर्चा की जाएगी."
संसद का मानसून सत्र सोमवार को शुरू हुआ और 13 अगस्त को समाप्त होगा. पिछले साल सितंबर में लाए गए तीन कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार बता रही है और दावा है कि इससे बिचौलिए खत्म होंगे और किसान देश में कहीं भी अपनी फसल बेच पाएंगे. ये कानून हैं- पहला, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020, दूसरा- कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक 2020 और तीसरा, आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020.
सरकार और किसानों के बीच आखिरी बातचीत 22 जनवरी को
वहीं किसान अपनी दो मुख्य मांगों- तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी बनाने की मांग के साथ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि ये कानून MSP को खत्म करने का रास्ता है और उन्हें मंडियों से दूर कर दिया जाएगा. साथ ही किसानों को बड़े कॉरपोरेट्स के रहमोकरम पर छोड़ दिया जाएगा. वहीं सरकार लगातार कह रही है कि एमएसपी और मंडी सिस्टम बनी रहेगी.
इस आंदोलन का नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) कर रही है. संयुक्त किसान मोर्चा में किसानों के 40 संगठन शामिल हैं. किसानों संगठनों और सरकार के बीच पिछले साल अक्टूबर से लेकर जनवरी 2021 के बीच 11 दौर की बातचीत हुई, लेकिन ये बैठकें समस्या को सुलझाने में नाकाम रहीं. सरकार और किसान नेताओं के बीच आखिरी बार 22 जनवरी को बातचीत हुई थी.


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