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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मुद्दों की बिसात बिछाई जा रही है, रणनीतियों का ताना-बाना बुना जा रहा है. मतदाताओं के दिल में जगह बनाकर उसे किस तरह से वोटों में तब्दील किया जाए? राजनीतिक पार्टियां और उनके नेता इसे लेकर भी एक्टिव हो गए हैं. एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एनडीए सांसदों के साथ अलग-अलग ग्रुप में मीटिंग कर जीत का मंत्र दे रहे हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी मैदान में उतर गए हैं. राहुल गांधी टमाटर की बेतहाशा बढ़ती कीमतों के बीच इसका भाव जानने देश की सबसे बड़ी सब्जी मंडी आजादपुर मंडी पहुंच गए. राहुल ने सुबह-सुबह चार बजे मंडी पहुंचकर टमाटर के साथ ही अन्य सब्जियों की कीमतों के संबंध में जानकारी ली और व्यापारियों, श्रमिकों की समस्याएं भी सुनीं. राहुल गांधी का अचानक आजादपुर मंडी पहुंचना, टमाटर और सब्जियों के भाव जानना, श्रमिक-व्यापारियों के बीच बैठकर उनकी समस्याएं सुनना रूट पॉलिटिक्स है या 2024 चुनाव से पहले कांग्रेस के किस्मत कनेक्शन की तलाश?
आजादपुर मंडी के सब्जी विक्रेताओं ने श्री राहुल गांधी जी से मुलाक़ात के बाद कहा "हम बहुत खुश है की कोई हमारे पास आया, हमारी बात सुनी" pic.twitter.com/oRtaMO77m4
— Nitin Agarwal (@nitinagarwalINC) August 3, 2023
राहुल गांधी की कोशिश अब अपनी इमेज आम आदमी की सेट करने की है. राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि राहुल एसी रूम पॉलिटिक्स वाली इमेज से बाहर आने की कोशिश कर रहे हैं. भारत जोड़ो यात्रा के बाद कभी छात्रों के बीच पहुंच जाना हो या रोपनी कर रहे किसानों के बीच खेतों में, ट्रक ड्राइवर्स के साथ यात्रा हो या सड़क किनारे किसी दुकान पर पहुंच जाना. ये सब आम आदमी की इमेज सेट करने की रणनीति का अंग है. ये संदेश देने की कोशिश है कि राहुल गांधी भी आपके जैसा ही है. आम आदमी से जुड़े मुद्दों को लेकर राहुल की सक्रियता के पीछे एक रणनीति ये भी हो सकती है कि बीजेपी जिस तरह से पीएम मोदी की सुपरमैन वाली इमेज बनाने में सफल रही है, उसके मुकाबले राहुल की कॉमन मैन की इमेज बनाई जाए.
राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने राहुल गांधी के बदले अंदाज को लेकर कहा कि उनकी लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ा है, खासकर भारत जोड़ो यात्रा के बाद. अगर पिछले कुछ सर्वे के आंकड़े देखें तो राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के बीच का अंतर मामूली ही सही, कम हुआ है. लोकप्रियता में आई उछाल से निश्चित रूप से राहुल गांधी का मनोबल बढ़ा होगा. खुद उनकी और कांग्रेस पार्टी की रणनीति अब भारत जोड़ो यात्रा से मिले मोमेंटम को आगे लेकर जाने की होगी और राहुल का लगातार आम आदमी के बीच पहुंचना भी इसी तरफ इशारा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पिछले महीने ट्वीट कर सब्जियों के दाम और बेरोजगारी बढ़ने पर केंद्र सरकार को घेरा था. उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार की लूट के कारण महंगाई और बेरोजगारी, दोनों लगातार बढ़ रहे हैं लेकिन बीजेपी सत्ता के लालच में लीन है. कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम मोदी पर तंज करते हुए कहा था कि जनता जानती है कि पीएम मोदी किसी अच्छे दिन, अमृत काल जैसे नारे पर काम कर रहे होंगे जिससे विज्ञापनों की लीपापोती से सरकार की नाकामियां छिप जाएं.
उन्होंने ये भी कहा था कि इस बार ऐसा नहीं होगा. जनता खोखले नारों का जवाब बीजेपी के खिलाफ वोट देकर करेगी. बीजेपी को सत्ता से साफ कर देगी. मल्लिकार्जुन खड़गे के ट्वीट से साफ था कि कांग्रेस प्रेसिडेंशियल स्टाइल वाली बीजेपी की मजबूत पिच पर जाने की जगह चुनाव को महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर केंद्रित करने की कोशिश करेगी. सब्जियों के बढ़ते दाम का मुद्दा सीधे-सीधे किचन से जुड़ा है. ऐसे में कांग्रेस को इसमें बीजेपी की ताकत माने जाने वाले महिला वोटबैंक में सेंध लगाने का अवसर नजर आ रहा है. अमिताभ तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी रैली हो या सरकारी आयोजन या मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात, आम आदमी से भावनात्मक रूप से जुड़े नजर आते हैं. उनकी भाषण शैली भी ऐसी है जिससे लोगों को ये लगता है कि पीएम मोदी भी हमारे जैसे ही हैं. कांग्रेस और राहुल गांधी की कोशिश भी उसी ट्रैक पर चलकर लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को चुनौती देने की है. प्याज की बढ़ी कीमतों को मुद्दा बनाकर इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी विरोधी लहर में खोई सत्ता 1980 के चुनाव में वापस पा ली थी. तब प्याज की कीमतें छह गुना बढ़ गई थीं और इंदिरा गांधी ने इसे मुद्दा बनाया. इंदिरा ने प्याज की माला पहनकर प्रचार किया था. चुनाव नतीजे आए तो इंदिरा सरकार की वापसी हो चुकी थी. इसी प्याज ने 1998 में केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली की सत्ता से बीजेपी की विदाई का रास्ता भी तैयार किया और तब से अब तक, 25 साल हो गए लेकिन पार्टी सत्ता में वापसी नहीं कर सकी. दोनों ही बार प्याज की महंगाई बीजेपी के लिए डायन साबित हुई और कांग्रेस की सत्ता में वापसी सुनिश्चित की. अब राहुल गांधी के आजादपुर मंडी पहुंचने को टमाटर की महंगाई में कांग्रेस के किस्मत कनेक्शन की तलाश का प्रयास माना जा रहा है.
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Shantanu Roy
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