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फिर विदेश दौरे पर जाने वाले हैं राहुल गांधी, अपने बयानों से खड़ा कर चुके हैं बवाल

Harrison
12 Aug 2023 9:10 AM GMT
फिर विदेश दौरे पर जाने वाले हैं राहुल गांधी, अपने बयानों से खड़ा कर चुके हैं बवाल
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नई दिल्ली | कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर विदेश दौरे पर जाने वाले हैं। जानकारी के मुताबिक राहुल गंधी 7 से 11 सितंबर तक यूरोप के दौरे पर रहेंगे और वह ब्रुशेल्स में यूरोपीय यूनियन पार्लियामेंट के सांसदों से भी मुलाकात करेंगे। अपनी यइस यात्रा के दौरान वह फ्रांस और बेल्जिय में भारतीयों को भी संबोधित कर सकते हैं। पार्टी ने बताया कि राहुल गांधी बेल्डियम, नॉर्वे और फ्रांस की यात्रा करेंगे।
इससे पहले राहुल गांधी मई में अमेरिका की यात्रा पर गए थे। उस दौरान वह सांसद भी नहीं थे। हालांकि अब उनकी लोकसभा की सदस्यता बहाल हो गई है। 10 दिन की अमेरिका यात्रा के दौरान वह सैन फ्रांसिस्को, वॉशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क गए थे और भारतीय समुदाय से भी बात की थी। उससे भी पहले राहुल गांधी ने यूके की यात्रा की थी। राहुल गांधी जब भी विदेश जाते हैं, उनके बयानों को लेकर भारत में बवाल होता है। उन्होंने यूके में कहा था कि भारत का लोकतंत्र दबाव में है। उसपर हमले हो रहे हैं।
राहुल गांधी ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय में कहा था, सभी जानते हैं कि भारतीय लोकतंत्र दबाव में है और उसपर हमले हो रहे हैं। मैं भारत में विपक्ष का एक नेता हूं।लोकतंत्र के लिए जिन संस्थानों की अहमियत है जैसे कि संसद, प्री प्रेस, न्यायपालिका, सब पर हमला हो रहा है। हम भारत के मूल लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला देख रहे हैं।
राहुल गांधी ने लंदन में जर्नलिस्ट असोसिएशन के एक कार्यक्रम में कहा था कि भारत में लोकतंत्र समाप्त हो रहा है। अमेरिका और यूरोप लोकतंत्र के चैंपियन बनते हैं लेकिन वहां लोकतंत्र खत्म हो रहा है और ये चुपचाप बैठे देख रहे हैं। इसके बाद भारती में इस बयान को लेकर बवाल खड़ा हो गया था। भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सोनिया गांधी से माफी की मांग की थी। भाजपा ने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी देश का विदेशी धरती पर अपमान कर रहे हैं।
न्यूयॉर्क में राहुल गांधी ने कहा था कि भारत में दो विचारधाराओं की लड़ाई चल रही है। उन्होंने कहा थाकि भारत में एक तरफ महात्मा गांधी हैं और दूसरी तरफ नाथूराम गोडसे। महात्मा गांधी ने अहिंसा का प्रचार किया और सत्य की खोज की। हम उस विचारधारा का पालन करते हैं और दूसरी तरफ नाथूराम हिंसक, गुस्सैलऔर अपने जीवन की वास्तविकता को झेलने में असमर्थ था।
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