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कोरोना वैक्सीनेशन पर राहुल गांधी ने केंद्र पर फिर साधा निशाना, बोले- PR इवेंट से आगे नहीं बढ़ रही सरकार

Deepa Sahu
23 Jun 2021 2:11 PM GMT
कोरोना वैक्सीनेशन पर राहुल गांधी ने केंद्र पर फिर साधा निशाना, बोले- PR इवेंट से आगे नहीं बढ़ रही सरकार
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर वैक्सीनेशन को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है

कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने एक बार फिर वैक्सीनेशन को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है और आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार पीआर इवेंट से आगे नहीं बढ़ पा रही है. राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा, "कोरोना टीकाकरण जब तक निरंतर बड़े स्तर पर नहीं होता, हमारा देश सुरक्षित नहीं है. अफ़सोस, केंद्र सरकार PR इवेंट से आगे नहीं बढ़ पा रही."

राहुल गांधी ने जारी किया था 'वाइट पेपर'
इससे पहले राहुल गांधी ने मंगलावर को एक वाइट पेपर जारी किया था औऱ कहा था कि इस पेपर की मदद से सरकार को दूसरी लहर के दौरान हुई गलतियों के बारे में बताया जाएगा ताकी तीसरी लहर के लिए अभी से तैयारी शुरू हो सके. इसमें मोदी सरकार की गलतियों के बारे में बताया जाएगा.

राहुल गांधी ने कहा था कि कोरोना पर हमारी श्वेत पत्र रिपोर्ट के पीछे का विचार जानकारी प्रदान करना है ताकि आने वाली लहरों में होने वाली मौतों को रोका जा सके. भारत सरकार को देश के हित में हमारे रचनात्मक इनपुट पर काम करना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र को वेज्ञानिकों और डॉक्टरों की सलाह लेने की जरूरत है. जब मनमोहन सिंह ने सलाह दी तो सरकार के मंत्री ने मजाक उड़ाया, लेकिन दो महीने बाद वही सरकार को करना पड़ा.
कोरोना के चलते मरने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा देने के मामले भी केंद्र पर साधा था निशाना
इससे पहले कोरोना संक्रमण के चलते मरने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा देने के मामले पर भी राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला था. दरअसल इस मामले पर केंद्र ने कहा है कि कोविड-19 के पीड़ितों को 4 लाख रुपये का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है क्योंकि आपदा प्रबंधन कानून में केवल भूकंप, बाढ़ आदि प्राकृतिक आपदाओं पर ही मुआवजे का प्रावधान है.
इस पर राहुल गांधी ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा था कि 'जीवन की क़ीमत लगाना असंभव है- सरकारी मुआवज़ा सिर्फ़ एक छोटी सी सहायता होती है लेकिन मोदी सरकार ये भी करने को तैयार नहीं.कोविड महामारी में पहले इलाज की कमी, फिर झूठे आँकड़े और ऊपर से सरकार की क्रूरता!'
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