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बिल पास होने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि ये किसानों-मजदूरों की सफलता है, ये इस देश की सफलता है
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन विपक्ष ने लोकसभा और राज्यसभा में कृषि कानूनों की वापसी के बिल पर चर्चा की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया. हंगामे के बीच ही बिना किसी चर्चा के दोनों सदनों में कृषि कानूनों की वापसी का बिल पास कर दिया गया. बिल पास होने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि ये किसानों-मजदूरों की सफलता है, ये इस देश की सफलता है.
राहुल गांधी ने कहा कि जिस प्रकार ये कानून रद्द किए गए, संसद में चर्चा नहीं होने दी, ये दिखाता है कि सरकार डिस्कशन से डरती है. ये दिखाता है कि उन्होंने गलत काम किया. जो किसान शहीद हुए उनके बारे में चर्चा होनी थी. चर्चा बनाए गए कृषि कानूनों पर होनी थी. उन्होंने ये भी कहा कि लखीमपुर खीरी पर भी डिस्कशन होना था.
सरकार के दिमाग में कंफ्यूजन
राहुल गांधी ने कहा कि सरकार के दिमाग में कंफ्यूजन है. सरकार सोचती है कि किसान, मजदूर और गरीब लोगों को दबाया जा सकता है. राहुल ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कृषि कानून किसानों पर आक्रमण थे. किसानों की जो मुश्किलें हैं, उसकी लंबी लिस्ट है, जिसमें MSP और कर्जामाफी भी शामिल हैं, हम उसका समर्थन करते हैं.
फिर संसद की जरूरत क्या है
राहुल गांधी से जब पूछा गया कि जब कृषि कानून वापसी के लिए बिल ले आए, प्रधानमंत्री ने माफी मांग ली तो चर्चा की क्या जरूरत है. इस पर राहुल गांधी ने कहा कि फिर संसद की जरूरत ही क्या है. पीएम ने कहा और सबने मान लिया. पीएम मोदी को जो कहना है वो कहें, जो कानून बनाना है बना लें. अगर कुछ गलत नहीं हुआ तो प्रधानमंत्री ने माफी क्यों मांगी? राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने किसानों का अपमान किया है. प्रधानमंत्री ने बयान में ग्रुप ऑफ फारमर्स कहा है. ये ग्रुप ऑफ फारमर्स नहीं, पूरे देश के किसान हैं.
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