मंगलवार 11 जुलाई को चल रहे जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में आज कई विपक्षी शासित राज्यों ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) के साथ जानकारी साझा करने की अनुमति देने के केंद्र के फैसले पर चिंता व्यक्त की है।
आम आदमी पार्टी शासित पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि यह 'टैक्स आतंकवाद' और छोटे व्यवसायों को डराने जैसा है।
क्या है केंद्र सरकार का आदेश?
वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना के माध्यम से धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों में एक संशोधन कर जीएसटीएन को उन संस्थाओं की सूची में शामिल किया गया है जिनके साथ ईडी जानकारी साझा करेगा। 50वीं जीएसटी परिषद की बैठक में, आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली और पंजाब ने अधिसूचना पर चिंता व्यक्त की और चर्चा की मांग की है।
इन राज्यों के वित्त मंत्री ने उठाये सवाल
दिल्ली की वित्त मंत्री ने मीडिया को बताया कि दिल्ली, पंजाब, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और राजस्थान के वित्त मंत्रियों ने अपनी चिंता व्यक्त की है और कहा है कि इस पर जीएसटी परिषद में चर्चा की जानी चाहिए।
सरकार के इस फैसले से होगा यह नुकसान
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि कई राज्यों ने चर्चा की मांग की है। चीमा ने कहा कि यह अधिसूचना ईडी को जीएसटी का भुगतान नहीं करने पर किसी भी व्यवसायी को पकड़ने की शक्ति देगी।
पंजाब के वित्त मंत्री ने कहा कि इस तरह के फैसले से देश में टैक्स आतंकवाद बढ़ेगा जो छोटे व्यवसायों और आम आदमी के लिए खतरनाक है।
वहीं दिल्ली की वित्त मंत्री आतिशी ने कहा कि चूंकि जीएसटीएन को पीएमएलए के तहत लाया गया है, इसका मतलब यह होगा कि चाहे आप छोटे या बड़े व्यवसायी हों, यदि आप जीएसटी के तहत पंजीकृत हैं, तो आप पर रिटर्न दाखिल करने में देरी जैसे अपराधों के लिए ईडी द्वारा मुकदमा चलाया जा सकता है।
केंद्र ED का कर रही है दुरुपयोग
दिल्ली के वित्त मंत्री ने कहा कि
हम सभी ने देखा है कि कैसे लोगों को परेशान करने और गिरफ्तार करने के लिए ईडी का दुरुपयोग किया जा रहा है। अब करोड़ों जीएसटी पंजीकृत व्यवसायों और व्यापारियों को पीएमएलए अभियोजन से खुद को बचाना होगा। हम इस अधिसूचना के खिलाफ हैं।