एकस्ट्रा सरचार्ज और महंगी बिजली को लेकर उठ रहे सवाल: चित्रा सरवारा
चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष चित्रा सरवारा ने सोमवार को प्रेसवार्ता कर सीएजी रिपोर्ट में दिखाए गए बिजली उत्पादन निगम के घाटे के मुद्दे पर खट्टर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि एक दो दिन से पूरे हरियाणा में बिजली की दुर्दशा को लेकर चर्चा चली हुई है। लोग सवाल करते रहते थे कि ये एक्सट्रा एनर्जी चार्ज, फ्यूल सरचार्ज क्या है और सिक्योरिटी डिपोजिट एडवांस में क्या लिए जा रहे हैं। इसके अलावा जब बिजली का मुद्दा आता है तो हरियाणा सरकार किसान को चोर समझती है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में बिजनेसमेन, उद्योगपतियों को लाखों का घाटा क्यों उठाना पड़ रहा है और ये लोग हरियाणा से पलायन करने को क्यों मजबूर हैं? उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार जिन प्राइवेट स्पलायरों से महंगे दामों पर बिजली खरीद रही है, वो हमारे पड़ोसी राज्यों को सस्ती बिजली दे रहे हैं। उन्होंने कहा कैग की रिपोर्ट बताती है कि हरियाणा में बिजली की दुर्गति के पीछे हरियाणा सरकार की नीति, योजना और इनकी नीयत है। जिसकी कीमत पूरा हरियाणा प्रदेश चुका रहा है। रिपोर्ट के अनुसार 2016 से 2021 तक एचपीजीसीएल ने साढ़े 15 हजार करोड़ रुपए का नुकसान झेला है। यदि इसको वार्षिक तौर पर देखा जाए तो 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान पर प्रदेश का एचपीजीसीएल पिछले पांच-छह साल से चल रहा है। इसी कारण जनता को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा रिपोर्ट में साफ तौर पर ये भी बताया गया है कि जो साढ़े 15 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, ये नुकसान हरियाणा सरकार की गलत प्लानिंग और हरियाणा सरकार की आम जनता को फायदा पहुंचाने की बजाय जो प्राइवेट सेक्टर को फायदा पहुंचाने की मंशा रही है, उसकी वजह से हुआ है। उन्होंने कहा कि एक समय था 2017-18 में हरियाणा में बिजली की प्रोडक्शन कपैसिटी 1056 करोड़ यूनिट थी। ये 2021 तक आते आते ये कपैसिटी 550 करोड़ यूनिट तक ही रह गई। यदि हमारे पॉवर प्लांट का जो पॉवर एग्रीमेंट था वो फूल कपैसिटी पर चलाए जाते तो उससे जो नुकसान हुआ उसे कवर किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने पिछले छह सालों में पॉवर प्लांट की रिपेयर, मेंटेनेंस और इन्फ्रास्ट्रक्चर की डेवलेपमेंट पर कोई काम नहीं किया। हरियाणा में बिजली का इन्फ्रास्ट्रक्चर, सप्लाई चेन मैनेजमेंट सड़ता जा रहा है और कहीं न कहीं इसकी कीमत प्रदेश के लोगों को चुकानी पड़ी है। उन्होंने कहा कि एक मॉडल दिल्ली में अरविंद केजरीवाल का था, जब लोगों ने देखा कि 7-8 साल तक कोई भी फालतू टैक्स बिजली के बिल में जुड़कर नहीं आया। इसके अलावा 200 यूनिट तक लोगों के बिजली बिल जीरो आने लगे, तो उस समय बिजली की किफायत, इन्फ्रास्ट्रक्चर की डेवलेपमेंट से सालाना हजारों करोड़ रुपए का इनपुट सरकार को डालना पड़ता था वो बंद हो गया और बिजली विभाग मुनाफे में चलने लग गया।