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क्वाड समिट: चीन को लगी मिर्ची, क्यों घबराता है?

jantaserishta.com
23 May 2022 3:29 AM GMT
क्वाड समिट: चीन को लगी मिर्ची, क्यों घबराता है?
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बीजिंग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान दौरे पर हैं. यहां वे 24 मई को क्वाड समिट में हिस्सा लेंगे. क्वाड समिट को लेकर चीन ने अपनी भड़ास निकाली है. चीन का कहना है कि इसका विफल होना तय है, क्योंकि अमेरिका ने चीन को नियंत्रित करने के लिए यह कवायद शुरू की है.

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल के जवाब में कहा, इंडो-पैसिफिक रणनीति अंतरराष्ट्रीय समुदाय में खासकर एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में अधिक सतर्कता और चिंता पैदा कर रही है. वांग ने कहा, अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति का असफल होना तय है.
चीनी विदेश मंत्री वांग का यह बयान ऐसे वक्त पर आया, जब 24 मई को टोक्यो में क्वाड समिट का आयोजन होना है. इसमें पीएम मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और जापान-ऑस्ट्रेलिया के पीएम शामिल होंगे. पिछले साल सितंबर में जो बाइडेन ने वॉशिंगटन में क्वाड नेताओं की मीटिंग बुलाई थी.
वांग ने कहा, अमेरिका ने स्वतंत्रता और खुलेपन के नाम पर इंडो-पैसिफिक रणनीति बनाई है. चीन का दावा है कि क्वाड का इरादा चीन के आसपास के वातावरण को बदलने का है. इसका उद्देश्य चीन को नियंत्रित करना और एशिया-पैसिफिक देशों को अमेरिकी आधिपत्य के प्यादे के तौर पर काम करना है. उन्होंने कहा, जो चीज विशेष रूप से खतरनाक है वह यह है कि अमेरिका "ताइवान" और "दक्षिण चीन सागर" कार्ड खेल रहा है.
चीनी विदेश मंत्री ने कहा, इंडो-पैसिफिक रणनीति सही मायने में विभाजन पैदा करने, टकराव को भड़काने और शांति को कम करने की रणनीति है. उन्होंने कहा, कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह कितनी गुप्त है, लेकिन यह अंत में विफल हो जाएगी.
वांग ने कहा कि इंडो-पैसिफिक अवधारणा न सिर्फ एशिया-पैसिफिक के नाम और क्षेत्र में प्रभावी क्षेत्रीय सहयोग वास्तुकला को मिटाने की कोशिश है, बल्कि देशों के ठोस प्रयासों द्वारा बनाई गई शांतिपूर्ण विकास की उपलब्धियों को मिटाने की भी कोशिश है, जो कई दशकों से देशों द्वारा बनाई गई है. वांग ने कहा कि एशिया-पैसिफिक क्षेत्र भू-राजनीतिक मंच के बजाय शांतिपूर्ण विकास की भूमि होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि एशिया-पैसिफिक को किसी ब्लॉक, 'नाटो या शीत युद्ध' में तब्दील करने की कोशिश कभी सफल नहीं होगी.
अमेरिका, जापान, भारत और आस्ट्रेलिया ने मिलकर क्वाड समूह बनाया है, जो खुले और मुक्त इंडो-पैसिफिक (हिंद-प्रशांत) की भावना पर बल देता है. जबकि चीन उस क्षेत्र को एशिया-पैसिफिक क्षेत्र कहता है, वह हिंद-प्रशांत रणनीतिक अवधारणा के विरूद्ध है. चीन ने इसकी तुलना एशियाई नाटो से की.
चीन करीब-करीब पूरे विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, जबकि ताईवान, फिलीपिन, ब्रूनेई, मलेशिया और वियतनाम भी उसके कुछ- कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं. चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप एवं सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं. चीन का पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ भी विवाद है. ऐसे में अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के मद्देनजर मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत की जरूरत की चर्चा कर रही है.
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