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पंचायत की सजा: प्रेम विवाह करने के जुर्म में 2 परिवार पर लगाया 34 लाख का जुर्माना, 12 साल तक समाज से बहिष्कृत
Deepa Sahu
14 Aug 2021 6:08 PM GMT
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देश में अब भी रूढ़ीवादी परंपराओं अन्याय को बढ़ावा देने का काम किया है।
देश में अब भी रूढ़ीवादी परंपराओं अन्याय को बढ़ावा देने का काम किया है। इन परंपराओं को तोड़ने पर आज भी समाज के ठेकेदार सजा सुनाते हैं। राजस्थान के बाड़मेर जिले में ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां एक युवा प्रेमी जोड़े ने शादी की तो पंचों ने इनके परिवारों को समाज से बहिष्कृत कर दिया। इतना ही नहीं इसके साथ-साथ विवाह में मदद करने वाले चचेरे भाई और उसके परिवार को भी सजा सुनाई गई।
मायलावास का है मामला
यह मामला बाड़मेर जिले के सिवाना थाने के मायलावास का है, जिसमें दो परिवारों को समाज से बाहर कर दिया गया। परिवारों पर आरोप है कि इन्होंने चचेरे भाई की पुत्री का प्रेम विवाह करवाने में सहायता की थी। पंचों ने दोनों परिवारों पर 34 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, साथ ही 12 साल के लिए समाज से बहिष्कृत कर दिया है।
सिवाना थाना इलाके की लूदराडा गांव के रहने वाले अंगार सिंह, फौज सिंह ने सिवाना थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है कि जातीय पंचों ने मिलकर उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया है। इतना ही नहीं खानपान की चीजों और पानी पर भी पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। इन पर आरोप लगाया गया कि एक साल पहले चचेरे भाई की पुत्री ने सिवाना के प्रेम सिंह पुरोहित के साथ शादी कर ली थी जिसमें इन परिवारों ने खुलकर मदद की थी।
अदालत की शरण लेने के बाद हुई एफआईआर पीड़ित अंगार सिंह के अनुसार पिछले लंबे समय से कुछ लोग उन्हें सामाजिक तौर पर प्रताड़ित कर रहे थे और आखिर में जुलाई के महीने में पंचायत बुलाकर पहले तो 51-51 हजार रुपये लिए और उसके बाद सीधे तौर पर आरोप लगा दिया कि प्रेम विवाह में मदद की है।
पीड़ित फौज सिंह के अनुसार, जबरन पंचायत में खड़ा करके दोनों परिवारों को अपमानित भी किया गया और यह फैसला सुनाया गया कि 12- 12 साल के लिए दोनों परिवारों को समाज से बहिष्कृत किया जाता है। साथ ही 17-17 लाख का भारी जुर्माना भी देना होगा। इस पूरे मामले में दोनों पीड़ितों ने कोर्ट की शरण ली, जिसके बाद सिवाना थाने में मामला दर्ज हो सका। अब पुलिस इस पूरे मामले की जांच में जुटी है.
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