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महिला सुरक्षा के लिए देश में बने कानूनों के दुरूपयोग होने को लेकर पिछले लंबे समय से बहस चल रही है
Udaipur: महिला सुरक्षा के लिए देश में बने कानूनों के दुरूपयोग होने को लेकर पिछले लंबे समय से बहस चल रही है. कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जहां महिला ने पहले दुष्कर्म जैसे गंभीर आरोप लगा दिए और फिर अपने ही बयान से पलट गई. एक ऐसे ही मामले में उदयपुर में न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है. जिसमें युवक पर दुष्कर्म का आरोप लगा कर पलटने वाली पीड़िता को ही सजा सुना दी गई.
पोक्सो एक्ट के विशेष न्यायालय के न्यायाधीश ने अपने फैसले में स्पष्ट लिखा कि साक्षी ही न्यायालय की आंख एवं कान होते हैं. यदि कोई साक्षी न्यायालय में शपथ पर झूठा साक्ष्य देता है तो न्यायालय को ऐसे मामलों में नरमी का रुख नहीं अपनाना चाहिए. यदि ऐसे मामले में नरमी का रुख अपनाया गया तो झूठे साक्ष्य देने वालों वाले गवाहों के कृत्य को प्रोत्साहन मिलेगा.
यह था मामला
बताया जा रहा है कि मई 2021 में अम्बामाता थाना इलाके में रहने वाली युवती पायल पुजारी ने अपने परिचित युवक नवीन कुमार के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया. पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए कोर्ट में पीड़िता के 164 के बयान दर्ज कराए. जिसमें उसने बताया कि नवीन कुमार ने उसे एक कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ पिलाया औरउसके साथ दुष्कर्म किया. इसके बाद उसका अश्लील वीडियो बनाकर वायरल करने की भी धमकी दी. युवती ने आरोप लगाया कि नवीन उसे जबरन पत्नी बना कर रखना चाहता था. कोर्ट में दिए बयानों के आधार पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी युवक नवीन को गिरफ्तार कर लिया. जिसके बाद में कोर्ट के आदेश पर उसे जेल भेज दिया गया.
पुलिस के चालान पेश करने के बाद दुष्कर्म के मामले में कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. ट्रायल के दौरान युवती कोर्ट में अपने ही दिए पूर्व के बयान से पलट गई. इस दौरान युवती ने पूरी कहानी का दोष पुलिस के सिर मढ़ दिया. इस पर न्यायालय ने आरोपी नवीन को दिसंबर 2021 में दोषमुक्त कर दिया था.
युवक को 6 माह से ज्यादा जेल में काटना पड़ा
इधर युवती के झूठे आरोपों के चलते युवक को 6 माह से ज्यादा समय जेल में बिताना पड़ा. मामले में विशेष लोक अभियोजक ने कहा कि इस तरह के मामलों में कोर्ट और पुलिस का काफी वक्त व पैसा बर्बाद होता है. गौरतलब है कि युवती के बयान 12 मई 2021 को हुए थे, तब पीड़िता ने खुद को नाबालिग बताया था. इसलिए मामले की सुनवाई पॉक्सो एक्ट के तहत की गई.
पूरे मामले कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान
इस पूरे मामले में कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए धारा 164 के तहत झूठे बयान देने के आरोप में युवती पायल पुजारी के खिलाफ कार्रवाई शुरू की. न्यायालय ने उसे सीआरपीसी की धारा 344 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया. इस पूरी कार्रवाई के बाद न्यायालय ने झूठे बयान देने के आरोप में गुरुवार को अहम फैसला सुनाते हुए युवती पायल पुजारी को 3 माह के कारावास की सजा और 500 रुपए का आर्थिक दंड लगाया है. न्यायालय ने युवती को हाईकोर्ट जाने के लिए 1 माह का समय दिया है. अगर हाईकोर्ट से उसे जमानत नहीं मिली तो पायल को जेल भेज दिया जाएगा.
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