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पुणे पोर्श कार हादसा: सुरेंद्र अग्रवाल को 3 दिन की पुलिस हिरासत, ड्राइवर को बंधक बनाने का आरोप

jantaserishta.com
25 May 2024 1:24 PM GMT
पुणे पोर्श कार हादसा: सुरेंद्र अग्रवाल को 3 दिन की पुलिस हिरासत, ड्राइवर को बंधक बनाने का आरोप
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पुणे: महाराष्ट्र के पुणे में हुए पोर्श कार हादसे मामले में नाबालिग आरोपी के पिता विशाल और दादा सुरेंद्र अग्रवाल के खिलाफ तीसरी एफआईआर दर्ज कराई गई है. इसके साथ ही शनिवार की सुबह गिरफ्तार किए गए सुरेंद्र अग्रवाल को पुलिस ने कोर्ट में पेश करके सात दिन की पुलिस हिरासत की मांग की, लेकिन कोर्ट ने तीन दिन की पुलिस कस्टडी दी है. 28 मई तक उनको पुलिस हिरासत में रखा जाएगा.
पुलिस ने कोर्ट में बताया कि इस हादसे कि जिम्मेदारी लेने के लिए आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने अपने ड्राइवर गंगाराम पर दबाव बनाया था. इतना ही नहीं उसका अपहरण करके अपने बंगले में कैद कर रखा था. घर से कुछ सीसीटीवी फुटेज बरामद हुए हैं, जिससे उनके अपराध की पुष्टि होती है.
इससे पहले सुरेंद्र अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि वो हादसे वाले दिन पुणे में नहीं थे. किसी व्यक्तिगत काम से दिल्ली गए थे. उनका इस घटना से कोई लेना देना नहीं है. पुलिस घर आकर डीवीआर ले गई है. पुणे के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया कि ड्राइवर पर हादसे की जिम्मेदारी लेने का दबाव बनाया गया. उसने अपने पहले बयान में कहा था कि वो कार चला रहा था. लेकिन सबूतों के हिसाब से कार नाबालिग चला रहा था.
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि नाबालिग के पिता और दादा ने अपने ड्राइवर को कैश और गिफ्ट देने का लालच देकर हादसे की जिम्मेदारी लेने के लिए दबाव बनाया था. इसकी वजह से ड्राइवर गंगाराम ने यरवदा पुलिस स्टेशन में कहा था कि 19 मई को दुर्घटना के समय वह गाड़ी चला रहा था.
इस बयान के बाद आरोपी उसे अपनी कार से लेकर अपने बंगले में गए, वहां उसका मोबाइल फोन छीनकर उसे बंधक बना लिया. लेकिन ड्राइवर की पत्नी की शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपी के बंगले पर छापा मारकर उसे बरामद कर लिया. ड्राइवर और उसके परिवार को पुलिस सुरक्षा दी जा रही है.
इस मामले में पुलिस ने ड्राइवर की शिकायत पर आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल और दादा सुरेंद्र अग्रवाल के खिलाफ आईपीसी की धारा 365 (किसी व्यक्ति को गुप्त रूप से और गलत तरीके से कैद करने के इरादे से अपहरण करना) और 368 (गलत तरीके से छिपाना या कैद में रखना) के तहत मामला दर्ज किया गया है. ड्राइवर ने अपना बयान बदल दिया है. उसने कहा है कि हादसे के समय वो कार नहीं चला रहा था. आरोपी के परिजन उस पर हादसे की जिम्मेदारी लेने के लिए दबाव डाल रहे थे. उन्होंने आगे बताया कि इस मामले में ब्लड और डीएनए सैंपल की रिपोर्ट अगले सप्ताह आने की उम्मीद है.
पुलिस के मुताबिक, आरोपी पहले अपने दोस्तों के साथ कोज़ी पब में गया था. वहां जब रात 12 बजे के बाद ड्रिंक्स सर्व करना बंद कर दिया गया, तो दोस्तों के साथ मैरिएट पब के लिए रवाना हो गया. जाने से पहले उसने पब में 69 हजार रुपए का बिल दिया. फिर मैरिएट पब में भी 21 हजार की शराब गटक गया. नाबालिग बेटे को कार की चाबी देने के जुर्म में बिल्डर विशाल अग्रवाल पुलिस की गिरफ्त में है. तफ्तीश में साफ हुआ है कि अपने खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद विशाल ने पुलिस को ना सिर्फ गुमराह करने की कोशिश की, बल्कि घर से भाग गया था. उसका मोबाइल फोन गायब है.
नाबालिग आरोपी को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड रिमांड होम भेजा है. पुलिस ने उसे बालिग मान कर मुकदमा चलाने की मांग की थी, लेकिन बोर्ड ने कहा कि इस पर फैसला इनवेस्टिगेशन के नतीजों के बाद लिया जाएगा. पुलिस ने नाबालिग को शराब परोसने के जुर्म में दोनों बार को सील कर दिया है. पुणे नगर निगम ने वैसे बारों को नोटिस थमा दिया है, जो नाजायज कब्जे वाली जमीन पर बने हैं. दो बार को तो बुल्डोज़र से ज़मींदोज़ कर दिया है. लेकिन ये सारी कार्रवाई देख कर लोगों का यही कहना है कि काश ये सारी सख्ती पहले होती, तो शायद दो बेगुनाह नौजवानों को अपनी जिंदगी से हाथ नहीं धोना पड़ता.
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