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पुणे पोर्श कार एक्सीडेंट मामला: नाबालिग की ब्लड रिपोर्ट बदलने का आरोप, आरोपी डॉक्टर निलंबित
jantaserishta.com
29 May 2024 2:16 PM GMT
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पुणे: महाराष्ट्र के पुणे में हुए पोर्श कार एक्सीडेंट मामले में नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल को बदलने के आरोपी डॉक्टर अजय तवारे को निलंबित कर दिया गया है. ससून जनरल अस्पताल प्रशासन ने उनको बर्खास्त करने का प्रस्ताव भेजा था. इसके साथ ही अस्पताल के डीन डॉ. विनायक काले को कंपलसरी लीव पर भेज दिया गया है. सीएमओ डॉ. श्रीहरि हल्नोर की सेवा पहले ही समाप्त की जा चुकी है. इन पर झूठी मेडिकल रिपोर्ट बनाने का आरोप है.
ससून अस्पताल के डीन डॉ. विनायक काले ने लीव पर भेजे जाने से पहले बताया कि प्रशासन ने डॉ. अजय तवारे की गिरफ्तारी के तुरंत बाद उन्हें निलंबित करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था, जबकि अस्थायी आधार पर कार्यरत डॉ. श्रीहरि हल्नोर की सेवाएं 28 मई को समाप्त कर दी गई थीं. उन्होंने कहा, "निलंबन की कार्रवाई राज्य सरकार के स्तर पर की जाती है. हमने अपनी तरफ से एक प्रस्ताव भेजा दिया था. कार्रवाई भी हो गई है.''
डीन ने कहा था, "इस कार्रवाई (गिरफ्तारी) के बाद, हमने डॉ. अजय तवारे से फोरेंसिक मेडिसिन के एचओडी का प्रभार लेकर विभाग के एक वरिष्ठ प्रोफेसर को दे दिया. डॉ. श्रीहरि हल्नोर की सेवा अस्थायी थी, जिसे समाप्त कर दिया गया. इस केस में गिरफ्तार तीसरे आरोपी अतुल घाटकांबले, जो कि एक सफाई कर्मचारी था, को निलंबित कर दिया गया है. अतुल ने ही डॉ. तवारे के कहने पर आरोपी का ब्लड सैंपल कूड़ेदान में फेंका था.''
इस केस की जांच कर रही तीन सदस्यीय कमेटी ने मंगलवार को ससून जनरल अस्पताल का दौरा किया. इस मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों से भी मुलाकात किया. ग्रांट मेडिकल कॉलेज और जेजे समूह के अस्पतालों की डीन डॉ. पल्लवी सपले की अध्यक्षता वाली कमेटी ससून अस्पताल पहुंची. डॉ. सपले ने कहा, "हम दुर्घटना के बाद घटनाओं के क्रम की जांच करेंगे. जांच नियमों के अनुसार की जाएगी और एक रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी."
पुलिस ने 19 मई को हुए हादसे के अगले दिन आरोपी के ब्लड सैंपल के बदलने का खुलासा किया था. इस खुलासे के बाद सरकारी अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. अजय तवारे, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीहरि हल्नोर और एक स्टाफ अतुल घाटकांबले को गिरफ्तार किया था. इन तीनों ने पैसों की लालच में आकर आरोपी का ब्लड सैंपल बदल दिया था, ताकि नाबालिग की मेडिकल रिपोर्ट से शराब पीने की पुष्टि न हो सके.
डॉ. पल्लवी सपले ने कहा, "हम अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेंगे और उसका विशेषाधिकार है कि वो क्या कार्रवाई करना चाहती है. सरकार ने हमें जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है." इस कमेटी के सदस्यों ने कैजुअल्टी डिपार्टमेंट का भी दौरा किया और ब्लड सैंपल कलेक्शन, उसके संरक्षण और फोरेंसिक लैब में भेजने की प्रक्रिया को भी समझा, ताकि उन्हें ये समझ में आ जाए कि कहां चूक हुई है.
पुलिस के मुताबिक, 19 मई की रात को नाबालिग लड़का अपने दोस्तों के साथ 69 हजार की शराब गटक गया था. वो रात को अपने दोस्तों के साथ सबसे पहले पुणे के कोज़ी पब में गया. वहां रात 12 बजे तक जमकर शराब पिया. इसके बाद ड्रिंक्स सर्व करना बंद कर दिया गया, तो वो दोस्तों के साथ ब्लाक मैरिएट पब के लिए रवाना हो गया और जाने से पहले उसने पब में 48 हजार रुपए का बिल दिया. फिर मैरिएट पब में भी 21 हजार की शराब गटक गया.
इतनी शराब पीने के बाद नशे की हालत में उसने तीन करोड़ रुपए की पोर्श कार की चाभी अपने हाथ में ली और फर्राटे से सड़क पर उड़ने लगा. कुछ देर बाद ही कार से अपना नियंत्रण खो दिया. हाई स्पीड कार ने बाइक सवार दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को रौंद दिया, जिससे उनकी मौत हो गई. इसके बाद भीड़ ने नाबालिग की जमकर पिटाई करने के बाद पुलिस को सौंप दिया. लेकिन आरोपी के पिता ने अपने रसूख के दम पर उसे रिहा करा लिया था.
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