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गर्व या शर्म की बात? अमेरिका जैसा देश भारत में आकर करेगा रिसर्च, वजह जानकर होगी हैरानी
jantaserishta.com
13 Jan 2021 11:10 AM GMT
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'तुम इतने पैसे कमाकर क्या करोगे' जवाब- जामताड़ा का सबसे अमीर आदमी बनेंगे..आपको याद तो आ ही गया होगा ये डॉयलॉग नेटफ्लिक्स की बेहद लोकप्रिय वेब सीरीज जामताड़ा का ही है..जी इसकी टैग लाइन है सबका नंबर आएगा. अब आप सोच रहे होंगे कि किस बात का नंबर आएगा?? वो नंबर आएगा ठगी का जब कोई आपसे एटीएम बंद होने तो कोई लॉटरी के नाम पर साइबर फ्रॉड करके आपके बैंक खाते से पैसे निकाल लेगा.
यही वजह है कि जामताड़ा पूरे देश में साइबर अपराधों के लिए बदनाम हो चुका है. देश में ज्यादातर साइबर फ्रॉड के मामले झारखंड के इसी जिले से जुड़े हुए होते हैं. जामताड़ा में एक नाबालिग भी अच्छे-खासे पढ़े लिखे लोगों को अपने ठगी का शिकार बना लेते हैं और उन्हें कानों कान खबर तक नहीं होती है. आमलोगों से लेकर कई राजनेताओं तक को ये शातिर अपना शिकार बना चुके हैं.
अब जामताड़ा के लोगों की इसी कारगुजारियों ने उन्हें अमेरिका तक में पहचान दिला दी है. जामताड़ा के इसी गैरकानूनी धंधे और इससे जुड़े लोगों पर एक अमेरिकी एजेंसी अब रिसर्च करेगी. अमेरिकी एजेंसी इस बात पर रिसर्च करेगी कि इस इलाके के बेहद कम पढ़ लिखे युवक भी कैसे लोगों को ठगी का शिकार बना लेते हैं. ये भी पता किया जाएगा कि इन्हें तकनीक और कंप्यूटर की इतनी गहन जानकारी कैसे मिलती है जिससे ये किसी का भी अकाउंट हैक कर लेते हैं.
बीते साल अगस्त महीने में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी और सांसद परणीत कौर के साथ 23 लाख रुपए की ठगी का मामला सामने आया था..जब इसकी जांच की गई तो इसका तार भी जामताड़ा से जुड़ा हुआ पाया गया. जामताड़ा से अताउल अंसारी नाम के एक व्यक्ति ने खुद को स्टेट बैंक का मैनेजर बताते हुए परणीत कौर को फोन करके इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया था.
अमेरिकी एजेंसी जामताड़ा पहुंच कर वहां के कम पढ़े-लिखे युवकों का ब्रेन मैपिंग कर यह जानने का प्रयास करेगी कि आखिर किस तरीके से बेहद न्यूनतम स्तर की पढ़ाई से यहां के ठगों ने आईटी में महारत हासिल कर ली है.
जामताड़ा में अमेरिकी एजेंसी इन्हीं चीजों पर रिसर्च करेगी जिसके लिए दिल्ली में डीजीपी स्तर के अधिकारी के साथ बैठक भी हुई है. वहीं जामताड़ा के एसपी दीपक कुमार सिन्हा ने भी कहा है कि जामताड़ा के साइबर अपराधियों पर रिसर्च की बात सामने आई है और अगर लोग यहां आते हैं तो उन्हें प्रशासन के द्वारा पूरा सहयोग दिया जाएगा. हालांकि उन्होंने कहा कि अभी तक इसकी आधिकारिक सूचना नहीं मिली है.
कमाल की बात यह है कि जामताड़ा में साइबर ठगों पर होने वाले रिसर्च को वहां के लोग गर्व के तौर पर देख रहे हैं. जामताड़ा महिला कॉलेज के प्रोफेसर टीके माझी ने कहा कि जामताड़ा जैसी जगह के लिए यह बड़े गर्व की बात है कि यहां अमेरिका जैसा देश इस पर रिसर्च करेगा.
उन्होंने कहा कि साइबर अपराध को किसी भी तरीके से अच्छा नहीं कहा जा सकता है. प्रोफेसर ने कहा कि सरकार को चाहिए कि इस तरह के भटके हुए युवाओं को मुख्यधारा में लाएं और उनके तेज दिमाग का उपयोग देश हित के अच्छे कार्यों में करें.
झारखंड का जामताड़ा साइबर अपराध के लिए इस कदर बदनाम हो चुका है कि आप यहां आए दिन किसी ना किसी दूसरे राज्य की पुलिस को मामले की जांच करते हुए देख सकते हैं. यह देश में साइबर अपराध के सबसे बड़े केंद्रों में से एक के रूप में उभरा है. जामताड़ा के करमातर पुलिस स्टेशन के रिकॉर्ड से पता चलता है कि अप्रैल 2015 से मार्च 2017 के बीच 12 अलग-अलग राज्यों की पुलिस टीमों ने 23 बार इस जिले का दौरा किया है और अलग-अलग मामलों में लगभग 38 आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
जामताड़ा जिला पुलिस द्वारा जुलाई 2014 से जुलाई 2017 के बीच क्षेत्र के 330 निवासियों के खिलाफ 80 से अधिक साइबर फ्रॉड के मामले दर्ज किए गए है. अकेले करमातर पुलिस स्टेशन में, 2017 में ठगी के मामलों में 100 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुई थीं.
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