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गर्व का पल, गांव की बेटी भारतीय सेना में बनी लेफ्टिनेंट

Admin2
1 Aug 2021 1:54 PM GMT
गर्व का पल, गांव की बेटी भारतीय सेना में बनी लेफ्टिनेंट
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कामयाबी की ऊंची उड़ान भरी है

बाड़मेर। भारत-पाकिस्तान की सरहद पर बसे बाड़मेर की बेटी ने कामयाबी की ऊंची उड़ान भरी है. नाम है प्यारी चौधरी. बाड़मेर के छोटे से गांव राऊजी की ढाणी काउखेड़ा की बेटी प्यारी चौधरी भारतीय सेना में अफसर बनी है. अपने परिवार से इंडियन आर्मी ज्वाइन करने वाली प्यारी छठी सदस्य हैं. प्यारी भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनी है. सेना में अफसर बनने के बाद पहली बार अपने गांव आने पर लोगो ने अफसर बिटिया का गर्मजोशी से स्वागत किया है. भारत पाकिस्तान पर बसे सरहदी बाड़मेर जिले के राऊजी की ढाणी काऊ खेड़ा कवास निवासी प्यारी चौधरी का भारतीय सेना में मेडिकल विभाग से लेफ्टिनेंट के पद पर चयन हुआ है. प्यारी ने सेना में ऑफिसर बन कर बाड़मेर जिले का नाम रोशन किया है.

भारतीय सेना में लेफ्टीनेंट बनने के बाद पहली बार अपने गांव आने पर प्यारी का जोरदार स्वागत किया गया. प्यारी की सफलता के बाद अफसर बेटी की हर कोई प्रशंसा करता नजर आया. प्यारी के पिता किस्तुराराम चौधरी थल सेना में वर्तमान में सूबेदार के पद पर 47 आर्म्ड रेजिमेंट में तैनात है. पिता को आज अपनी बेटी की सफलता पर नाज़ है. पिता किस्तूराराम बताते है कि आज बेटी ने पूरे परिवार के साथ साथ पूरे गांव का नाम रोशन किया है. एक पिता के लिए इससे बड़ा गर्व क्या होगा जब पिता से ऊपर रैंक पर बेटी ने अपना मुकाम पाया है.

बाड़मेर की पहली महिला लेफ्टिनेंट प्यारी चौधरी ने प्रारंभिक शिक्षा पटियाला के आर्मी नर्सरी स्कूल से प्राप्त की. इसके बाद केंद्रीय विद्यालयों में पिता की नौकरी के साथ अलग-अलग जगह रह कर पढ़ाई की. बीएससी नर्सिंग महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी मुंबई से पास की. इसके बाद सेना में कमीशन प्राप्त करने के लिए ऑल इंडिया लेवल पर लिखित परीक्षा मेरिट प्राप्त कर इंटरव्यू व मेडिकल टेस्ट पास किए. अब ऑल इंडिया मैरिट के आधार पर प्यारी चौधरी को सेना के मेडिकल विभाग में ऑफिसर रैंक में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति मिली है.

पिता किस्तुराराम सेना में सूबेदार है तो अब बेटी सेना में लेफ्टिनेंट ऑफिसर बनी है. अपने पिता के सपने को साकार कर दिखाने वाली अफसर बिटिया कहती है कि अभी कदम रुके नही है, मंजिले और भी है जिन्हें पाना है. एक तरफ जहां बरसो तक रेतीले बाड़मेर को बेटियों की कब्रगाह कहा जाता था उसी बाड़मेर में बेटियां सफलता के झंडे गाड़ रही है. प्यारी की सफलता यकीनन कई बेटियों के लिए मार्ग प्रशस्त करने का काम करती नजर आएगी।

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