सीजेआई ने अपने पत्र में हाल की एक घटना पर नाखुशी जताई, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश ने ट्रेन की एक यात्रा के दौरान ‘‘उनकी आवश्यकताओं को पूरा न करने’’ के लिए रेलवे प्राधिकारियों से उत्तर मांगा था.
नयी दिल्ली. हिंदुस्तान के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को लिखे एक पत्र में बोला है कि न्यायाधीशों को प्रोटोकॉल सुविधाओं का उपयोग इस ढंग से नहीं करना चाहिए कि दूसरों को परेशानी हो या न्यायपालिका को लोगों की आलोचनाओं का सामना करना पड़े.
सीजेआई ने अपने पत्र में हाल की एक घटना पर नाखुशी जताई, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश ने ट्रेन की एक यात्रा के दौरान ‘‘उनकी आवश्यकताओं को पूरा न करने’’ के लिए रेलवे प्राधिकारियों से उत्तर मांगा था.
उन्होंने 19 जुलाई को लिखे पत्र में कहा, ‘‘उच्च कोर्ट के न्यायाधीश के पास रेलवे कर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है. इसलिए, हाई कोर्ट के किसी अधिकारी के पास रेलवे कर्मियों से स्पष्टीकरण देने के लिए कहने का अधिकार नहीं है.’’
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बोला कि हाई कोर्ट के एक अधिकारी द्वारा रेलवे के महाप्रबंधक को लिखे पत्र ने न्यायपालिका के भीतर और बाहर उचित चिंता को जन्म दिया है.
उन्होंने बोला कि न्यायाधीशों के पास मौजूद ‘‘प्रोटोकॉल सुविधाओं’’ का उपयोग उन्हें समाज से अलग करने वाले विशेषाधिकार पर दावा जताने या फिर ताकत दिखाने या अधिकार जताने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
हाल की एक घटना में इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश ने दिल्ली से प्रयागराज की उनकी ट्रेन यात्रा के दौरान कथित तौर पर उनकी आवश्यकताएं पूरी न करने के लिए रेलवे ऑफिसरों से स्पष्टीकरण मांगा था.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के पंजीयक (प्रोटोकॉल) ने उत्तर मध्य रेलवे, प्रयागराज के महाप्रबंधक को एक पत्र भेजकर इस मामले पर उत्तर देने के लिए बोला था